
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जज जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने वक्फ बोर्ड से जुड़ी प्रॉपर्टी पर चल रही सुनवाई के दौरान वकील की कड़ी क्लास ली। जज ने वकील से पूछा कि किसी प्रॉपर्टी को वक्फ बोर्ड के नाम कैसे घोषित किया गया। जब वकील इस पर संतोषजनक जवाब नहीं दे सके, तो जज भड़क गए। उन्होंने कहा, “ऐसे तो कल को आप लाल किला, ताजमहल सबको वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी डिक्लेयर कर दोगे।”
जज के तीखे सवाल
जस्टिस अहलूवालिया ने वकील से पूछा, “वक्फ की प्रॉपर्टी कैसे डिक्लेयर हो गई, वो तो बताओगे। या आप मान रहे हो कि डिक्लेयर नहीं हो सकती। कल को किसी भी सरकारी दफ्तर को कह देंगे वक्फ की प्रॉपर्टी तो हो जाएगा?” उन्होंने आगे कहा, “मेरे सीधे सवाल का जवाब दो। भाई साहब, आप ताजमहल भी ले लो, लाल किला भी ले लो, कौन मना कर रहा है। प्यार से सवाल समझ नहीं आते आप लोगों को? किसी भी प्रॉपर्टी को आप वक्फ की प्रॉपर्टी डिक्लेयर कर दोगे? और ऐसा कर भी रहे हैं। सेक्शन 5 में नोटिफिकेशन होगा, फलाना होगा। पूरे भारत की प्रॉपर्टी डिक्लेयर कर दो। कुछ मालूम नहीं किसी को। मन आया बोले इसको वक्फ प्रॉपर्टी डिक्लेयर कर दिया, ये कैसे मुमकिन है?”
वकील की दलीलें
जज ने पूछा कि प्रॉपर्टी ऐतिहासिक स्मारकों में नोटिफाई है, इस पर आपका क्या जवाब है। वकील ने कहा कि एंशिएंट मॉन्यूमेंट्स एक्ट के तहत प्रॉपर्टी केंद्र सरकार के संबंधित विभाग द्वारा सेफगार्ड की जा सकती है, लेकिन ऑनरशिप वक्फ बोर्ड के पास रहेगी। इस पर जस्टिस अहलूवालिया ने कहा, “तो फिर साफ है न कि आप उसको हाथ नहीं लगा सकते हैं।” वकील ने कोर्ट को बताया कि साल 1989 में प्रॉपर्टी वक्फ बोर्ड को डिक्लेयर हुई थी।
जज की टिप्पणी
जज ने कहा, “1989 में वक्फ बोर्ड को इसकी ऑनरशिप कैसे डिक्लेयर की गई, कौन इसका ऑनर था? आप जवाब दीजिए इसका। किसी को नहीं मालूम 1989 के नोटिफिकेशन से पहले किसकी थी ये प्रॉपर्टी, किसी को कुछ नहीं मालूम। मन आया और वक्फ प्रॉपर्टी डिक्लेयर कर दी।” जस्टिस अहलूवालिया ने मुस्कुराते हुए आगे कहा, “वकील साहब की बहस से समझ आ रहा है कि उनके पास कुछ नहीं है। अगर इनके पास कुछ होता तो केस में दम होता और तब इन्हें छेड़ना बड़ा मुश्किल होता। तारीफ कर रहा हूं, कमेंट नहीं कर रहा।”

VIKAS TRIPATHI
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