
उत्तर प्रदेश के बहराइच में 13 अक्टूबर 2024 को हुई हिंसा के आरोपियों में से तीन लोगों ने अपनी संपत्तियों के विध्वंस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्हें प्रशासन द्वारा विध्वंस के लिए 20 अक्टूबर (आज) को नोटिस भेजा गया था।
इस मामले में एक इंटरवेंशन एप्लीकेशन (IA) दाखिल की गई है, जिसमें राज्य सरकार द्वारा आरोपियों के खिलाफ चल रहे “बुलडोजर एक्शन” को रोकने की मांग की गई है। याचिका में विध्वंस पर रोक लगाने और आरोपियों को दिए गए नोटिस को निरस्त करने की अपील की गई है।
IA में एक स्थानीय विधायक के बयान का भी हवाला दिया गया है, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा कि प्रशासन ने मुख्य आरोपी अब्दुल हमीद के अवैध रूप से बने घर पर नोटिस चिपकाया है और जल्द ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में बिना अदालती अनुमति के चल रही विध्वंस कार्रवाई पर रोक लगाते हुए कहा था कि किसी व्यक्ति का घर केवल इसलिए ध्वस्त नहीं किया जा सकता क्योंकि वह किसी अन्य अपराध में आरोपी या दोषी है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि वह देशभर में इस तरह के मामलों के दुरुपयोग को रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी करेगी।
बहराइच हिंसा से जुड़े एफआईआर में नामजद तीन व्यक्तियों, जो फेरीवाले और किसान हैं, का दावा है कि जिन संपत्तियों के लिए नोटिस जारी किए गए हैं, वे 10 से 70 साल पुरानी हैं। उनका आरोप है कि यह विध्वंस कार्रवाई हिंसा के मामले में दंडात्मक कार्रवाई के रूप में की जा रही है।
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि सरकार का दावा कि यह अवैध निर्माण है, एक बहाना मात्र है ताकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई बिना अदालती अनुमति के विध्वंस पर रोक को अवैध तरीके से दरकिनार किया जा सके। याचिका में यह भी कहा गया है कि प्रशासन द्वारा केवल 3 दिन की छोटी अवधि में नोटिस देकर जवाब मांगना, उचित अवसर और समय देने से इनकार करना है, जिससे याचिकाकर्ताओं को अपने संपत्ति के संरक्षण के लिए कानूनी उपाय करने का अवसर नहीं मिल सका। उन्होंने यूपी सरकार पर “पिक एंड चूज” नीति का आरोप भी लगाया है, यह बताते हुए कि उसी मकान के बगल में स्थित घर को कोई नोटिस नहीं मिला।

VIKAS TRIPATHI
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