
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने रविवार को फिर बीजेपी की नस पर हाथ रख दिया। उनका कहना है कि बीजेपी “बांटों और राज करो” की नीति पर ऐसा अमल कर रही है जैसे ब्रितानी शासन का लाइसेंस इनके पास ही हो।
थानों में ‘सिंहासन’ कब्जा – सब सिंह भाई!
अखिलेश यादव ने आंकड़ों के साथ योगी सरकार की पोल खोलने की कोशिश की। आगरा से लेकर चित्रकूट और महोबा तक, जहां देखो वहीं “सिंह” नाम वाले थानों में विराजमान हैं। मानो यूपी पुलिस नहीं, कोई “ठाकुर मिलिट्री” हो। उन्होंने तंज कसा,
“थानों में पीडीए (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) तो जैसे दर्शक बनकर रह गए हैं, असली खेल तो सिंह भाई लोग खेल रहे हैं।”
धर्म और जाति की प्रयोगशाला: बीजेपी स्टाइल
अखिलेश बोले, “बीजेपी चुनाव नहीं लड़ती, समाज की चीरफाड़ करती है। धर्म अलग, जाति अलग, और अगर कुछ बचे तो गली-मोहल्ले भी अलग।”
पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा का ज़िक्र करते हुए बोले,
“अगर दंगे की कोई सरकारी कंपनी होती, तो बीजेपी उसका सीईओ होती।”
“मांस फिंकवाओ अभियान” – दंगों का स्टार्टअप?
कन्नौज की घटना का जिक्र करते हुए अखिलेश ने कहा कि बीजेपी के नेता एक गरीब आदमी को पकड़कर मांस मंदिर में फिंकवाने ले गए। स्क्रिप्ट कुछ यूं थी:
“भइया, कुछ पैसा लो… थोड़ा मांस फेंको… फिर देखो मीडिया TRP और राजनीति की रोटियां कैसे सिंकती हैं।”
गरीब आदमी ने पहले इनकार किया, तो बीजेपी नेता ने खुद साथ चलकर ‘कर्म पूरा’ करवाया। नतीजा – दंगा तैयार, राजनीति चालू।
17 भाजपाई रासुका में – “अब बताइए, कौन असली गुंडा?”
अखिलेश ने हंसते हुए बताया, “हमारी सरकार में जब जांच हुई तो 17 बीजेपी नेता रासुका में अंदर गए। अब कहिए, दंगे कौन कराता है?”
“गंगा में डुबकी लगाने से नहीं धुलते पाप, मंत्री जी!”
मंत्री नंद गोपाल नंदी पर व्यंग्य करते हुए अखिलेश बोले,
“उनकी भाषा तो इतनी गंदी है कि वो गंगा में नहाते-नहाते, गंगा को ही गंदा कर दें। चाहे जितनी डुबकी मार लें, उनके पाप तो गंगा मैया भी नहीं धो सकती।”
और हां, उन्होंने ये भी जोड़ा कि इलाहाबाद की पूर्व मेयर अभिलाषा गुप्ता जब समाजवादी पार्टी में आना चाहती थीं, तो उन्होंने खुद मना कर दिया था। बोले,
“हमारे यहां ‘साफ-सुथरी’ राजनीति होती है, हम हर तरह के ‘कचरे’ को रिसाइक्लिंग नहीं करते।”

VIKAS TRIPATHI
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