Wednesday, July 2, 2025
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‘मुसलमानों को जिहाद के अलावा कुछ नहीं आता?’—सीएम उमर अब्दुल्ला का तीखा जवाब

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने नेता प्रतिपक्ष सुनील शर्मा के ‘विधायी जिहाद’ वाले बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने तीखे शब्दों में कहा कि “हर मुद्दे में जिहाद देखने वालों को अपने नजरिए पर आत्ममंथन करना चाहिए। जब कोई उनके धर्म पर टिप्पणी करता है तो उन्हें गुस्सा आ जाता है, लेकिन खुद बिना सोचे-समझे धार्मिक भाषा का इस्तेमाल करते हैं।”

सुनील शर्मा के बयान पर उमर अब्दुल्ला का पलटवार

सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा,
“क्या नेता प्रतिपक्ष यह साबित करना चाहते हैं कि मुसलमानों को ‘जिहाद’ के अलावा कुछ नहीं आता? यह मानसिकता गलत और खतरनाक है। हर चीज को धर्म से जोड़ना और जिहाद के चश्मे से देखना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।”

उन्होंने आगे कहा कि दूसरों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले बयानों से बचना चाहिए। हरियाणा सहित देश के किसी भी राज्य के लोग जम्मू-कश्मीर में स्वागत योग्य हैं। नेता प्रतिपक्ष की ‘बाहरी लोगों’ पर टिप्पणी को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि “अगर वह किश्तवाड़ में अपने घर में हरियाणा के किसी व्यक्ति को बसाते हैं, तो मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी।”

क्या कहा था सुनील शर्मा ने?

भाजपा नेता और जम्मू-कश्मीर के नेता प्रतिपक्ष सुनील शर्मा ने उमर अब्दुल्ला और उनकी पार्टी पर ‘दो-राष्ट्र सिद्धांत’ को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बाहरी लोगों को जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने से रोकने के लिए ‘विधायी जिहाद’ किया जा रहा है

“अगर भारत एक राष्ट्र है, तो देश के किसी भी व्यक्ति को यहां जमीन खरीदने का हक क्यों नहीं? अगर एक कश्मीरी महाराष्ट्र में जमीन खरीद सकता है, तो महाराष्ट्र का कोई व्यक्ति कश्मीर में क्यों नहीं खरीद सकता?”—सुनील शर्मा

मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि “क्या आप धर्म के आधार पर अलग दर्जा चाहते हैं? क्या संविधान का पूरा पालन सिर्फ इसलिए नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यहां मुस्लिम बहुलता है? हम ऐसा नहीं होने देंगे।”

भूमि विवाद और कश्मीर की आबादी पर बहस

सुनील शर्मा के इस बयान का मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तीखा जवाब दिया। यह विवाद उस समय उठा जब अब्दुल्ला ने कश्मीर में भूमि संकट का हवाला देते हुए जनसंख्या संरचना को लेकर चिंता जाहिर की

बहरहाल, इस मुद्दे ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। जहां बीजेपी इसे समान नागरिक अधिकारों से जोड़ रही है, वहीं उमर अब्दुल्ला इसे धर्म विशेष को निशाना बनाने की राजनीति बता रहे हैं। इस बहस के बीच, जम्मू-कश्मीर में भूमि कानूनों और बाहरी लोगों के अधिकारों को लेकर सियासी घमासान और तेज होने के आसार हैं

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