
बीजेपी के आंतरिक खतरे
विश्लेषक का खुलासा:
जाने-माने विश्लेषक राजीव सचान ने अपने संपादकीय आलेख में खुलासा किया है कि बीजेपी को बाहरी विरोधी दलों से नहीं, बल्कि पार्टी के भीतर ही बैठे कुछ लोगों से बड़ा खतरा है।
लोकसभा चुनाव की समीक्षा:
उन्होंने बताया कि बीजेपी ने अपने अपेक्षाकृत कमजोर प्रदर्शन की समीक्षा शुरू कर दी है। हालांकि, यह कहना कठिन है कि पार्टी गहन समीक्षा के बाद गलतियों को स्वीकार कर जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह बना पाएगी।
विधानसभा चुनावों की चुनौती:
बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती आगामी विधानसभा चुनाव हैं। अगर महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और अन्य राज्यों में पार्टी बेहतर प्रदर्शन नहीं करती, तो जनता के बीच पार्टी की लोकप्रियता कम होती दिखेगी और इसके नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरेगा। इससे विपक्ष को संदेश जाएगा कि आगामी आम चुनावों में बीजेपी को सत्ता से बाहर किया जा सकता है।
अपनी कार्यशैली बदलने की जरूरत:
सचान ने लिखा है कि इस बार बीजेपी ने उन वर्गों की परवाह नहीं की, जिन्हें सामाजिक इंजीनियरिंग के जरिए जोड़ा था। इससे पार्टी का नया वोट बैंक टूट गया और परंपरागत वोट बैंक भी खिसक गया।
वोट बैंक का महत्व:
किसी भी दल को यह मानकर नहीं चलना चाहिए कि जुड़ा हुआ मतदाता समूह उससे हमेशा जुड़ा रहेगा। उदाहरण के तौर पर, बिहार विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में असदुद्दीन ओवैसी के विधायक जीत गए, क्योंकि वहां के मुसलमानों ने अपने लोगों को जिताना बेहतर समझा।
भविष्य की रणनीति:
सचान ने निष्कर्ष निकाला कि बीजेपी को विपक्ष का मुकाबला करने के लिए अपनी कार्यशैली बदलनी होगी, जो सरकार और संगठन दोनों में दिखनी चाहिए।
इस आलेख से यह स्पष्ट है कि बीजेपी को बाहरी विरोधियों से ज्यादा, आंतरिक मुद्दों से सावधान रहना होगा और आगामी चुनावों के लिए मजबूत रणनीति बनानी होगी।

VIKAS TRIPATHI
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