Friday, June 20, 2025
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“नक्सलवाद अब अंतिम सांसें गिन रहा है, 2026 तक देश से पूरी तरह सफाया” – नीमच में बोले अमित शाह

मध्यप्रदेश के नीमच जिले में आयोजित सीआरपीएफ के 86वें स्थापना दिवस समारोह में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक स्पष्ट और साहसिक घोषणा करते हुए कहा कि “भारत में नक्सलवाद अब केवल चार जिलों तक सिमट कर रह गया है और 2026 तक इसका पूर्ण सफाया हो जाएगा। इस मिशन की रीढ़ सीआरपीएफ है, खासतौर पर इसकी कोबरा बटालियन।”

पशुपतिनाथ से तिरुपति तक लाल आतंक का सपना देखने वालों की आज सीमा चार जिलों तक रह गई है – शाह

अमित शाह ने कहा, “नक्सलियों का वो सपना कि वे पशुपतिनाथ से लेकर तिरुपति तक ‘लाल आतंक’ फैलाएंगे, अब सिर्फ एक सपना बनकर रह गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नक्सलवाद अब अपने आखिरी चरण में है।” उन्होंने आगे जोड़ा, “31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद का भारत से पूरी तरह अंत हो जाएगा।

कोबरा बटालियन: जंगलों में वीरता का नया अध्याय

सीआरपीएफ की विशेष इकाई ‘कोबरा’ (Commando Battalion for Resolute Action) की भूमिका की सराहना करते हुए शाह ने कहा, “कोबरा बटालियन ने जंगलों और दुर्गम इलाकों में छापामार युद्ध में अप्रतिम साहस दिखाया है। उनकी वजह से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हिंसा में 70% से अधिक की गिरावट आई है।”

राष्ट्रीय सुरक्षा में सीआरपीएफ की भूमिका अतुलनीय – अमित शाह

कश्मीर घाटी में आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष हो, पूर्वोत्तर राज्यों में शांति स्थापित करना हो, या नक्सलवाद को चार जिलों तक समेट देना हो – हर मोर्चे पर सीआरपीएफ के जवानों ने साहस और कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल कायम की है,” शाह ने कहा। उन्होंने आगे कहा, “कोई भी किताब सीआरपीएफ के जवानों की वीरता और बलिदान का पूरा चित्रण नहीं कर सकती।

“कोबरा कमांडो का नाम सुनते ही कांप जाते हैं नक्सली”

शाह ने कहा, “आज हालत यह है कि सबसे खूंखार नक्सली भी कोबरा कमांडो की आहट से डरने लगे हैं। कोबरा बटालियन अब वीरता का पर्याय बन चुकी है।” उन्होंने आगे कहा, “सीआरपीएफ के 2,264 जवानों ने देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति दी है। यह बलिदान हमेशा स्वतंत्र भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज रहेगा।”

CRPF: एक गौरवशाली विरासत

सीआरपीएफ की स्थापना 27 जुलाई 1939 को ब्रिटिश शासन के दौरान ‘क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस’ के रूप में हुई थी। 28 दिसंबर 1949 को तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने इसका नाम बदलकर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल रखा और 19 मार्च 1950 को इसे आधिकारिक ध्वज प्रदान किया गया। तभी से हर साल 19 मार्च को सीआरपीएफ दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष यह आयोजन 17 अप्रैल को परेड के साथ संपन्न हुआ।

“राष्ट्र की सुरक्षा में जिनका योगदान अमर है, उन्हें शत-शत नमन”

इस अवसर पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव भी उपस्थित रहे। समारोह ने देश के वीर जवानों के शौर्य को नमन किया और आने वाले वर्षों में नक्सलवाद को जड़ से मिटाने के दृढ़ संकल्प को दोहराया।

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