
शिमला/मंडी: हिमाचल प्रदेश में भाजपा सांसद और फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत एक बार फिर सुर्खियों में हैं, इस बार वजह है उनका एक लाख रुपये का बिजली बिल। उन्होंने इसे लेकर सोशल मीडिया पर राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया, जिसे लेकर सियासत गरमा गई है। सरकार ने न केवल उनके आरोपों को ‘सनसनीखेज’ करार दिया, बल्कि उन्हें राजनीति सीखने की भी नसीहत दे डाली।
“लोग कंगना को गंभीरता से नहीं लेते” – हर्षवर्धन चौहान
प्रदेश के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कंगना रनौत के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा:
“कंगना एक कलाकार हैं और अभी भी वह राजनीतिक मंच पर अभिनय ही कर रही हैं। वह एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि की भूमिका नहीं निभा रहीं। उन्हें राजनीति को समझने की जरूरत है, क्योंकि अभी भी वह सिर्फ ‘डायलॉग’ बोलती हैं।”
मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार को ‘भेड़िया’ बताकर कंगना सिर्फ सनसनी फैलाना चाहती हैं, जबकि एक सांसद के रूप में उन्हें अपने क्षेत्र के विकास पर ध्यान देना चाहिए।
कंगना का आरोप: तीन महीने का बिल ₹1 लाख, ये कैसा सिस्टम?
कंगना रनौत ने सोशल मीडिया पर लिखा कि उन्हें तीन महीने का ₹1 लाख का बिजली बिल थमाया गया है। उन्होंने सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए उसे आम जनता का शोषण करने वाला करार दिया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राज्य में बिजली व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है।
बिजली बोर्ड का जवाब: कंगना खुद बकायेदार हैं
कंगना के आरोपों पर हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड लिमिटेड ने भी जवाब दिया है। बोर्ड के प्रबंध निदेशक संदीप कुमार ने स्पष्ट किया कि:
“यह ₹1 लाख की राशि केवल एक महीने की नहीं है। यह कुल बकाया राशि है। कंगना ने नवंबर और दिसंबर का बिल जनवरी में भरा था, जबकि जनवरी और फरवरी के बिल अब तक बकाया हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि कंगना को समय पर नोटिस भी भेजे गए थे, लेकिन भुगतान नहीं किया गया।
राजनीति में ‘डायलॉगबाज़ी’ या ज़िम्मेदारी?
कंगना रनौत का राजनीति में पदार्पण भाजपा की स्टार प्रत्याशी के रूप में हुआ था। लेकिन अब विपक्ष और यहां तक कि उनकी खुद की सरकार के मंत्री भी सवाल उठा रहे हैं कि क्या कंगना महज़ “मनोरंजन का साधन” बनी रह गई हैं या वास्तव में वह जनता के मुद्दों पर गंभीर हैं?

VIKAS TRIPATHI
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