
नई दिल्ली: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले, 8 नवंबर को ऑल इंडिया उलमा बोर्ड ने महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन को सशर्त समर्थन देने की घोषणा की। एमवीए गठबंधन कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी), और एनसीपी (शरद पवार) के नेतृत्व में चुनाव लड़ रहा है। उलमा बोर्ड ने एमवीए उम्मीदवारों को समर्थन देने के लिए कई शर्तें रखी हैं, जो विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय की मांगों पर आधारित हैं।
उलमा बोर्ड द्वारा एमवीए प्रमुखों को भेजे गए आधिकारिक पत्र में कुल 17 शर्तें रखी गई हैं, जिनमें से 9 प्रमुख शर्तें इस प्रकार हैं:
- वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध और इसे रद्द करने की मांग।
- महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड को ₹1,000 करोड़ का आवंटन।
- वक्फ संपत्तियों से अतिक्रमण हटाने के लिए विधानसभा में कानून लाने की सिफारिश।
- महाराष्ट्र में मुसलमानों के लिए 10% आरक्षण की मांग।
- राज्य पुलिस भर्ती में शिक्षित मुस्लिम युवाओं को प्राथमिकता देने की अपील।
- आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की मांग।
- बीजेपी नेता नितेश राणे और रामगिरी महाराज की गिरफ्तारी, और विवादित बयानों पर कानूनी कार्रवाई झेल रहे सलमान अजहरी की रिहाई की मांग।
- पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ बोलने वालों के लिए कड़ी सजा का कानून लागू करने की अपील।
- मस्जिदों के मौलाना और इमामों को ₹15,000 प्रति माह वेतन देने की मांग।
शरद पवार की प्रतिक्रिया:
एनसीपी नेता शरद पवार ने उलमा बोर्ड की शर्तों पर विचार करते हुए समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया और बोर्ड को पत्र लिखकर इसे महत्वपूर्ण बताया।
मुस्लिम मतदाता जागरूकता अभियान:
लगभग 180 गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) एमवीए के पक्ष में मुस्लिम वोट जुटाने के लिए मैदान में सक्रिय हैं। इन एनजीओ का कार्य विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय के बीच जागरूकता बढ़ाना और भाजपा के खिलाफ वोट करने के लिए प्रेरित करना है, जैसा कि हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में देखा गया था।
लोकसभा चुनाव के दौरान, शिवाजी नगर, मुम्बादेवी, भायखला और मालेगांव जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में मतदान प्रतिशत अन्य क्षेत्रों की तुलना में काफी अधिक रहा। इस वृद्धि को मुस्लिम समुदाय में बढ़ती जागरूकता और चिंताओं का परिणाम बताया जा रहा है।
मतदाता जागरूकता अभियान:
मराठी मुस्लिम सेवा संघ (एमएमएसएस) ने 180 से अधिक एनजीओ के साथ मिलकर मुस्लिम समुदाय में जागरूकता फैलाने का अभियान चलाया है। एमएमएसएस के नेता फकीर महमूद ठाकुर ने बताया कि इस अभियान के तहत राज्यभर में 200 से अधिक बैठकें की गई हैं, जिसमें मुसलमानों से धर्मनिरपेक्ष उम्मीदवारों के समर्थन में मतदान करने की अपील की गई है।
टीआईएसएस रिपोर्ट:
5 नवंबर को टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) द्वारा किए गए एक अध्ययन में खुलासा हुआ कि मुंबई में मुस्लिम और अवैध प्रवासी मतदाताओं की संख्या बढ़ रही है, जो स्थानीय राजनीति को प्रभावित कर रहे हैं। अध्ययन में यह भी बताया गया कि अवैध प्रवासी स्थानीय रोजगार पर असर डाल रहे हैं, जिससे वेतन दबाव और स्थानीय निवासियों में असंतोष बढ़ रहा है।
‘वोट जिहाद’ का आरोप:
लोकसभा चुनावों के बाद, OpIndia ने रिपोर्ट किया था कि महाराष्ट्र में मुसलमानों ने भाजपा को हराने के लिए सामूहिक रूप से मतदान किया था। इस बार भी मराठी मुस्लिम सेवा संघ और अन्य एनजीओ भाजपा के खिलाफ मुस्लिम वोटरों को संगठित करने में लगे हैं, जिसे कुछ लोग ‘वोट जिहाद’ का नाम दे रहे हैं।
महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को एक ही चरण में मतदान होगा, जबकि मतगणना 23 नवंबर को होगी।

VIKAS TRIPATHI
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