
नोएडा, 28 अगस्त। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा तीनों प्राधिकरणों में 8000 वर्गमीटर से बड़े औद्योगिक भूखंडों का आवंटन साक्षात्कार के माध्यम से करने की योजना एमएसएमई उद्यमियों के लिए चुनौती बनकर उभर रही है। छोटे भूखंडों के लिए ई-नीलामी की तैयारी की जा रही है, जिससे एमएसएमई वर्ग के उद्यमियों पर गंभीर असर पड़ सकता है।
एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह नाहटा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर इस नीति पर कड़ी आपत्ति जताई है और भूखंडों के आवंटन में फाइनेंसरों के बढ़ते दखल की शिकायत की है। एसोसिएशन ने भूखंडों का आवंटन ड्रॉ के माध्यम से करने की मांग की है और ई-नीलामी व साक्षात्कार से आवंटित भूखंडों की उच्च स्तरीय जांच कराने का आग्रह किया है।
नाहटा का कहना है कि फाइनेंसर और बिचौलियों का प्रभाव बढ़ने से उद्योगों के समग्र विकास में बाधा आ रही है, जिससे नए उद्योगों की स्थापना और पुराने उद्योगों के विस्तार में रुकावटें पैदा हो रही हैं। उन्होंने सरकार से पारदर्शी तरीके से भूखंडों का आवंटन सुनिश्चित करने और इस प्रक्रिया में अनियमितताओं की जांच की मांग की है।
एसोसिएशन के सुझाव:
- आवंटियों को उद्योग संचालन के प्रमाण पत्र केवल उत्पादन शुरू करने और आवश्यक विभागों में पंजीकरण के बाद ही जारी किए जाएं।
- औद्योगिक सेक्टरों के लैंड यूज में कोई बदलाव न हो।
- भूखंड बेचने पर दस साल की रोक लगे।
- भूखंड आवंटन की तिथि से दो साल के भीतर क्रियाशील प्रमाण पत्र हासिल करने की अनिवार्यता हो।
- खाली भूखंडों की पहचान कर उन्हें जरूरतमंद उद्यमियों को दोबारा आवंटित किया जाए।
पहले भी सामने आ चुका है खुलासा:
ग्रेटर नोएडा में जनवरी में लांच की गई औद्योगिक भूखंड योजना के दौरान भी बिचौलियों और फाइनेंसरों द्वारा भूखंडों की अनौपचारिक बुकिंग और ऊपरी डिमांड की रकम की मांग चर्चा में रही थी। अब एक बार फिर से इस तरह के संदेशों का सिलसिला तेज हो गया है, जिससे आवंटन नीतियों पर सवाल उठ रहे हैं।

VIKAS TRIPATHI
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