
भारतीय जनता पार्टी (BJP) को जल्द ही अपना नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलने वाला है, और यदि सब कुछ सही रहा, तो यह पद संजय जोशी संभालेंगे। यह बात सिर्फ हम नहीं कह रहे, बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भी संजय जोशी को भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना चाहता है। जानकारों के अनुसार, संजय जोशी भाजपा के अध्यक्ष पद के लिए RSS की पहली पसंद हैं।
कौन हैं संजय जोशी?
भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा? इस सवाल का उत्तर जानने से पहले संजय जोशी के बारे में जान लेते हैं। संजय जोशी, जिन्हें संजय भाई जोशी के नाम से भी जाना जाता है, एक सादा जीवन जीने वाले संघ कार्यकर्ता हैं। पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर, संजय जोशी पहले इंजीनियरिंग के छात्रों को पढ़ाते थे, लेकिन बाद में उन्होंने अपना जीवन RSS को समर्पित कर दिया। RSS में उनकी पहचान एक बड़े स्वयंसेवक के रूप में है।
संजय जोशी पहली बार 1988 में सुर्खियों में आए जब उन्हें आरएसएस ने गुजरात भाजपा की इकाई में काम करने के लिए भेजा। उसी समय नरेंद्र मोदी को भी गुजरात भाजपा में महासचिव नियुक्त किया गया। दोनों की जिम्मेदारी पार्टी की इकाई को मजबूत करना थी, लेकिन इस दौरान शंकर सिंह वाघेला के विद्रोह के कारण भाजपा दो हिस्सों में बंट गई।
1995 में सत्ता को लेकर केशुभाई पटेल और वाघेला के बीच खींचतान शुरू हुई। वाघेला ने पार्टी के कई विधायकों के साथ एक फाइव स्टार रिसोर्ट में डेरा डाल लिया, जिसके बाद कांग्रेस में शामिल हो गए। इस घटनाक्रम में केशुभाई पटेल की मुख्यमंत्री पद से कुर्सी चली गई, और सुरेश मेहता नए मुख्यमंत्री बने। हालांकि, केशुभाई पटेल 1998 में फिर से मुख्यमंत्री बने, और उनकी जीत का श्रेय संजय जोशी को दिया गया।
लेकिन संजय जोशी और नरेंद्र मोदी के बीच रिश्तों में खटास बढ़ गई, जिसके चलते मोदी को दिल्ली भेजा गया। 2001 में गुजरात में भूकंप के बाद राहत कार्यों की आलोचना के चलते नरेंद्र मोदी को नया मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके बाद जोशी को दिल्ली भेजकर पार्टी संगठन के महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई।
हालांकि, 2005 में एक फर्जी सीडी कांड में फंसने के बाद जोशी को भाजपा से किनारे कर दिया गया। छह साल के राजनीतिक वनवास के बाद, पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने उन्हें पार्टी में वापस लाया और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का प्रभारी बनाया। इस पर नरेंद्र मोदी ने पार्टी की महत्वपूर्ण बैठकों में शामिल होने से मना कर दिया, जब तक जोशी इस्तीफा नहीं देते।
संजय जोशी के इस्तीफे के बाद भाजपा के कई नेता और कार्यकर्ता दुखी हुए, और अंततः जोशी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। अब एक बार फिर संजय जोशी भाजपा में सक्रिय हो चुके हैं।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की चर्चा: संजय जोशी की संभावना
अब तक आप संजय जोशी का परिचय जान चुके हैं। आइए, अब भाजपा के भावी राष्ट्रीय अध्यक्ष पर चर्चा करते हैं। हाल ही में केरल के पलक्कड़ में RSS की एक महत्वपूर्ण समन्वय बैठक संपन्न हुई। सभी जानते हैं कि भाजपा, RSS का अनुवांशिक संगठन है, और पिछले कुछ वर्षों में RSS ने भाजपा की नीति निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
बैठक में एक सूत्र के अनुसार, RSS ने स्पष्ट किया है कि संजय जोशी भारतीय जनता पार्टी के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे। हालांकि, जेपी नड्डा ने देवेंद्र फडणवीस का नाम भी प्रस्तावित किया। यह तय हुआ कि हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनाव नतीजों के बाद भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की घोषणा की जाएगी। नड्डा ने बैठक में यह भी कहा कि हरियाणा में चाहे जो नतीजे आएं, सरकार तो भाजपा की ही बनेगी। इस वजह से RSS ने हरियाणा चुनाव के नतीजे आने तक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के फैसले को स्थगित कर दिया है।
संजय जोशी की उम्मीदवारी को लेकर स्थिति स्पष्ट होती जा रही है, लेकिन अन्य संभावित नामों पर भी चर्चा जारी है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के संभावित नाम
भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए आधा दर्जन से अधिक नामों पर चर्चा चल रही है। यदि RSS संजय जोशी को अध्यक्ष नहीं बना पाती, तो दूसरा प्रमुख नाम देवेंद्र फडणवीस का है। 53 वर्षीय फडणवीस भाजपा की सेकंड लाइन के संभावनाओं से भरे नेता माने जाते हैं। वे प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री दोनों रह चुके हैं, और पार्टी उन्हें विभिन्न चुनावों में प्रभारी बनाती रही है।
दूसरा नाम विनोद तावड़े का है, जो 62 वर्ष के हैं। महाराष्ट्र में मराठा राजनीति को साधने की चुनौती को देखते हुए तावड़े को अध्यक्ष बनाना पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश हो सकता है। संघ के छात्र संगठन एबीवीपी से निकलकर, तावड़े ने मुंबई प्रदेश इकाई के अध्यक्ष और मंत्री के रूप में काम किया है।
तीसरा नाम सुनील बंसल का है, जो 54 वर्ष के हैं और भाजपा के परफॉर्मर नेताओं में गिने जाते हैं। उनके कार्यकाल में भाजपा ने ओडिशा और तेलंगाना में शानदार प्रदर्शन किया है।
अगला नाम के. लक्ष्मण का है, जो तेलंगाना के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। वे ओबीसी मोर्चा की कमान संभाल रहे हैं, और यदि उन्हें बनाया गया, तो भाजपा दक्षिण भारत और ओबीसी दोनों को साध सकती है।
अनुराग ठाकुर का नाम भी चर्चा में है, विशेषकर उनकी युवाओं में लोकप्रियता को देखते हुए। हालांकि, हिमाचल से दूसरा राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना संदिग्ध है।
ओम माथुर और नरेंद्र सिंह तोमर जैसे वरिष्ठ नेताओं के नाम भी लिए जा रहे हैं। माथुर की उम्र (72 वर्ष) उनकी दावेदारी में बाधा बन सकती है।
इसी बीच, संगठन महामंत्री बीएल संतोष, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सौदान सिंह और सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश का नाम भी चर्चित है। हालांकि, इनकी अध्यक्षता का कोई उदाहरण नहीं है क्योंकि संघ आवश्यकतानुसार प्रचारकों को वापस बुला लेता है।
यदि भाजपा महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का निर्णय लेती है, तो तेलंगाना से डी पुरुंदेश्वरी, हरियाणा से सुधा यादव, तमिलनाडु से वनिथि श्रीनिवासन और छत्तीसगढ़ की सरोज पांडेय की दावेदारी बनती है।

VIKAS TRIPATHI
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