
नोएडा: स्मार्ट सिटी के सपने दिखाने वाले नोएडा में “स्मार्ट” गड़बड़झाले का खुलासा हुआ है। ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार नोएडा की 46 हाउसिंग सोसाइटियों में बिना सहमति पत्र और बिना किसी वैध अनुमति के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) चल रहे हैं। इन प्लांटों से निकलता ज़हरीला पानी और दुर्गंध इलाके की हवा में ऐसा घुल चुका है कि अब लोग खुद को सांस लेने के लिए भी ‘सहमति पत्र’ देना चाहते हैं।
सवाल यह है कि जब हर सोसाइटी को प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) से सहमति पत्र लेना ज़रूरी है, तो इन 46 सोसाइटी में STP बिना अनुमति कैसे चल रहे हैं? जवाब है – DGM (Civil) साहब की कुंभकर्णी नींद, जो या तो ‘फ़ाइल’ में उलझे हैं या फिर ‘दायित्व’ को ठेके पर दे चुके हैं।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि STP की दुर्गंध से बच्चों और बुज़ुर्गों की तबीयत बिगड़ रही है, लेकिन अधिकारी वही पुरानी फाइलें पलटते रहते हैं — जैसे हर गंध पर कोई नई रिपोर्ट लिखी जा रही हो।
प्रमुख प्रतिक्रिया:
DGM (Civil), जो इन निर्माणों की देखरेख के लिए ज़िम्मेदार हैं, से जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, “हमें जानकारी नहीं है कि ये STP बिना सहमति पत्र के संचालित हो रहे हैं।” यानी या तो उन्हें पता नहीं, या फिर पता न होने का नाटक बखूबी निभाया जा रहा है।
व्यंग्य बिंदु:
1. नोएडा में अब ‘सहमति’ की ज़रूरत सिर्फ शादी के लिए नहीं, सांस लेने के लिए भी है।
2. STP की बदबू ने पर्यावरण तो ख़राब किया ही, अब प्रशासन की कार्यशैली भी उजागर कर दी है।
3. DGM (Civil) का नया पदनाम सुझाव: “DGM – Documents Gone Missing”
निवासियों की मांग:
– सभी STP की स्वतंत्र जांच हो
– DGM (Civil) व संबंधित अधिकारियों की ज़िम्मेदारी तय हो
– प्रदूषण फैलाने वाली सोसाइटियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए
नोएडा का स्मार्ट भविष्य तब तक अधूरा है, जब तक अधिकारी सिर्फ़ कुर्सी और फ़ाइलों में गुम हैं, और सोसाइटियाँ ज़हरीली हवा में सांस लेती रहें।

VIKAS TRIPATHI
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