नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र में 20 अगस्त को पेश हुए एक नए विधेयक ने सियासत में तूफान खड़ा कर दिया है। इस बिल के प्रावधानों के तहत अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हों और वे लगातार 30 दिनों तक जेल में बंद रहें, तो उन्हें अपने पद से हटना पड़ेगा। विपक्ष ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताते हुए जमकर हंगामा किया, यहां तक कि बिल की कॉपियां फाड़ दी गईं।
“लोकतंत्र खत्म करने की साज़िश” – तेजस्वी यादव
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस विधेयक को लोकतंत्र खत्म करने की साज़िश करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस कानून का इस्तेमाल नेताओं को धमकाने और ब्लैकमेल करने के हथियार के रूप में करेगी।
तेजस्वी ने कहा –“यह नया तरीका है नेताओं को ब्लैकमेल करने का। यह कानून सिर्फ नितीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू जैसे नेताओं को डराने के लिए लाया गया है। पहले भी कई मुख्यमंत्री जेल में रहे लेकिन बाद में बरी हो गए – चाहे वह हेमंत सोरेन हों या अरविंद केजरीवाल। अब इस कानून के सहारे लोकतंत्र को कमजोर करने की साज़िश हो रही है।”
“भाजपा का असली काम ब्लैकमेल करना है”
तेजस्वी यादव ने भाजपा पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा की राजनीति ही ब्लैकमेलिंग पर टिकी है।
उन्होंने कहा –
“ये लोग जो 400 सीटें पार करने का दावा करते थे, वहां तक पहुंच ही नहीं पाए। अब इन्हें सत्ता बचाने के लिए नितीश और नायडू का सहारा लेना पड़ रहा है। चूंकि चंद्रबाबू नायडू के पीछे कई जांच एजेंसियाँ लगी हुई हैं, इसलिए इस कानून से इन्हें दबाया जाएगा। यह भाजपा वालों का काम है, नए कानून लाकर लोगों को डराना। इनका मकसद सिर्फ लोकतंत्र को खत्म करना है।”
#WATCH पटना: गंभीर आपराधिक आरोपों में फंसे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को हटाने संबंधी विधेयक पर RJD नेता तेजस्वी यादव ने कहा, “यह लोगों को ब्लैक मेल करने का एक नया तरीका है… यह कानून केवल नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को डराने के लिए लाया जा रहा है… इन लोगों… pic.twitter.com/GeYAgf0l1T
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 20, 2025
“एक इंस्पेक्टर भी मुख्यमंत्री को जेल भेज सकता है”
तेजस्वी ने इस बिल के खतरनाक पहलुओं को गिनाते हुए कहा कि अगर यह कानून लागू होता है तो किसी भी मुख्यमंत्री को एक साधारण इंस्पेक्टर भी गिरफ्तार कर सकता है।
उन्होंने कहा –
“बस 30 दिन तक हिरासत में रखो और मुख्यमंत्री की कुर्सी चली जाएगी। सोचिए, इससे लोकतंत्र और संविधान की धज्जियाँ उड़ जाएँगी। यह कानून लोकतांत्रिक ढांचे को तोड़ने और विपक्षी नेताओं को बंधक बनाने की चाल है।”
विपक्ष का तीखा विरोध
बिल पेश होते ही विपक्षी दलों ने इसे “लोकतंत्र का गला घोंटने” वाला कदम बताया। संसद में जबरदस्त हंगामा हुआ और विपक्षी सांसदों ने कहा कि इस कानून के जरिये भाजपा नेताओं को बंधक बनाएगी और संवैधानिक पदों की गरिमा को गिरा देगी।
नतीजा
तेजस्वी यादव का कहना है कि इस कानून का असली उद्देश्य विपक्षी नेताओं को डराना, लोकतंत्र को कमजोर करना और भाजपा की सत्ता को बचाना है। अब सवाल यह है कि क्या संसद इस विवादित बिल को पारित करेगी या विपक्ष की आक्रामकता इसे रोकने में सफल होगी।