Wednesday, October 29, 2025
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उपराष्ट्रपति चुनाव में नामांकन घोटाला—एक विस्तृत रिपोर्ट

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति चुनाव के नामांकन प्रक्रिया के बाद एक चौंकाने वाला घोटाला सामने आया है। केरल के एक व्यक्ति — जिनके नाम का अलग-अलग रिपोर्ट में Joemon Joseph / Jacob Joseph के रूप में उल्लेख हुआ है — ने बिना सांसदों की जानकारी के 22 सदस्यों संसद (proposers और seconders) के नाम व हस्ताक्षर दाखिल कर दिए। जब इन नामांकनों की छानबीन (scrutiny) हुई तो यह धोखाधड़ी सामने आई और उसका नामांकन रद्द कर दिया गया।


क्या हुआ—क्रमवार वर्णन

चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित अंतिम तिथि 21 अगस्त 2025 तक कुल 46 उम्मीदवारों ने 68 नामांकन-पत्र दाखिल किए। प्रारम्भिक जाँच में 19 उम्मीदवारों के 28 नामांकन रद्द कर दिए गए; बचे हुए 27 उम्मीदवारों के 40 नामांकन-पत्रों की स्क्रूटनी 22 अगस्त को हुई। केवल दो प्रत्याशियों — एनडीए के C.P. Radhakrishnan और विपक्ष के B. Sudarshan Reddy — के चार-चार नामांकन पाये गये जिन्हें मान्य घोषित किया गया।

Joemon (प्रेस में कुछ जगह Jacob लिखा गया) Joseph के एक नामांकन-पत्र में 22 प्रस्तावकों व 22 समर्थकों के नाम व हस्ताक्षर दर्ज थे, पर इनके अधिकांश ने स्पष्ट किया कि उन्होंने ऐसे किसी दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर कभी नहीं किये। इसीलिए उसके नामांकन को स्क्रूटनी के दौरान रद्द कर दिया गया। मामला अब राज्यसभा सचिवालय के संज्ञान में पहुंच चुका है और आगे की कार्यवाही का इंतजार है।

छानबीन के दौरान यह भी पता चला कि उन्हीं हस्ताक्षरों में YSRCP सांसद P.V. Midhun Reddy का भी नाम/हस्ताक्षर था — जबकि मिधुन रेड्डी फिलहाल जेल में हैं और उन्होंने न तो समर्थन दिया और न ही उनका कोई अनुमोदन हुआ था। यह बात इस घोटाले की गंभीरता को और बढ़ाती है।


कानूनी और प्रक्रियात्मक पहलू

उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया संसद के आंतरिक नियमों तथा Election Commission के नोटिफिकेशन के अनुसार होती है — नामांकन-पत्रों की वैधता की प्रारम्भिक जाँच Returning Officer/राज्यसभा सचिवालय द्वारा की जाती है और जाँच में मेल न होने पर नामांकन रद्द किया जा सकता है। (निर्देशानुसार अंतिम तिथियाँ और स्क्रूटनी की तिथियाँ ECI ने घोषित की थीं)।

ऐसे मामलों में आगे क्या हो सकता है — तथ्यात्मक जानकारी जुटने के बाद राजसद सचिवालय जांच रिपोर्ट बना सकता है, और यदि आवश्यक हुआ तो पुलिस/प्रशासनिक जांच या पत्रों के फॉरजी से जुड़े आपराधिक धाराओं के तहत केस दर्ज हो सकता है। (प्रक्रिया अभी चल रही है और आधिकारिक पुष्टि का इंतजार है)।


इस घटना के राजनीतिक व संवैधानिक मायने

1.प्रक्रिया की साख पर असर — उपराष्ट्रपति जैसी संवैधानिक पद के चुनाव में इस तरह की फॉरजी घटना चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करती है और मतदाता (यहाँ सांसद) व जनता के विश्वास को आघात पहुंचा सकती है।

2.सुरक्षा-प्रक्रियाओं का आकलन — ऐसे मामलों से यह स्पष्ट होता है कि नामांकन-पत्रों के सत्यापन और कागजी कार्रवाई में और कड़ाई के इंतजाम आवश्यक हैं ताकि भविष्य में इस तरह की धांधली रोकी जा सके।

3.राजनीतिक तनाव का अवसर — उपराष्ट्रपति चुनाव पहले से ही NDA बनाम INDIA ब्लॉक के बीच एक नज़दीकी मुकाबला है; ऐसे घोटाले राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप और बयानबाज़ियों को तेज कर सकते हैं। (इस चुनाव के मुख्य प्रतिद्वंदी C.P. Radhakrishnan और B. Sudarshan Reddy हैं)।


पृष्ठभूमि (क्यों हो रहा यह चुनाव)

यह उपराष्ट्रपति चुनाव Jagdeep Dhankhar के 21 जुलाई 2025 को स्वास्थ्य कारण बताते हुए इस्तीफा देने के बाद आवश्यक हुआ। चुनाव आयोग ने चुनाव कार्यक्रम जारी करते हुए मतदान की तारीख 9 सितंबर 2025 रखी है; नामांकन की अंतिम तिथि 21 अगस्त, स्क्रूटनी 22 अगस्त और नाम वापसी की अंतिम तिथि 25 अगस्त थी।


अभी क्या पता नहीं है / आगे क्या होने की संभावना है

Joemon/Jacob Joseph के खिलाफ किस तरह की आपराधिक धाराएँ लागू होंगी और क्या उसके खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी — यह फ़िलहाल आधिकारिक ऐलान तक स्पष्ट नहीं है। रिचार्ज (Rajya Sabha Secretariat) की रिपोर्ट और आगे की आधिकारिक कार्रवाइयाँ आने पर ही विस्तार से कहा जा सकेगा।


यह घटना ना सिर्फ एक व्यक्तिगत फर्जीवाड़ा है बल्कि संवैधानिक प्रक्रियाओं की मजबूती और प्रशासनिक जाँच-तंत्र की आवश्यकता को भी उजागर करती है। उपराष्ट्रपति चुनाव की संवेदनशीलता और संसद सदस्य—जो इस चुनाव के मतदाता हैं—की भूमिका को देखते हुए जल्द स्पष्ट, पारदर्शी और कानूनी कार्रवाई की उम्मीद की जाती है।

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VIKAS TRIPATHI
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