
Farmer Protest: केंद्र सरकार के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर संघर्षरत किसान संगठनों ने एक बार फिर दिल्ली की ओर कूच करने की योजना बनाई है। रविवार को पंजाब के 101 किसानों का एक दल शंभू बॉर्डर पर भारी सुरक्षा के बीच दिल्ली के लिए रवाना होगा। इससे पहले शुक्रवार को किसानों ने दिल्ली कूच का प्रयास किया था, लेकिन हरियाणा पुलिस की ओर से लाठीचार्ज, आंसू गैस और बैरिकेडिंग के चलते उन्हें अपना मार्च स्थगित करना पड़ा।
शंभू बॉर्डर पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था
किसानों के इस दिल्ली कूच को रोकने के लिए हरियाणा-Delhi सीमा पर सुरक्षा बेहद सख्त कर दी गई है। शंभू बॉर्डर पर भारी पुलिस बल तैनात है, सड़कों पर लोहे की कीलें लगाई गई हैं, और बैरिकेडिंग की गई है ताकि किसानों को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश से रोका जा सके।
हरियाणा सरकार ने अंबाला जिले के 11 गांवों में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं और बल्क एसएमएस सेवा 9 दिसंबर तक निलंबित करने के आदेश दिए हैं।
किसान नेताओं की रणनीति और मांगें
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वे सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन अब तक कोई संदेश या न्योता नहीं मिला है। उन्होंने यह भी बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने 8 दिसंबर को शांतिपूर्ण तरीके से 101 किसानों के साथ मार्च फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है।
किसानों की प्रमुख मांगें:
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी: किसान चाहते हैं कि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी रूप दिया जाए।
- मुआवजा: 2020-21 के किसान आंदोलन में मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग।
- लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय: किसान संगठनों ने लखीमपुर खीरी मामले को लेकर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
- पेंशन योजना: किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन योजना लागू करने की मांग।
- बिजली दरों में वृद्धि न हो: किसान बिजली की बढ़ी हुई दरों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
- भूमि अधिग्रहण नियमों में बदलाव: किसान संगठनों ने मौजूदा भूमि अधिग्रहण नियमों पर आपत्ति जताई है।
पिछले आंदोलनों की झलक
दिल्ली कूच का यह किसानों का चौथा प्रयास होगा। इससे पहले फरवरी 2021 में किसानों ने ट्रैक्टर और ट्रॉलियों के साथ दिल्ली मार्च की कोशिश की थी, लेकिन सुरक्षा बलों के साथ झड़प के कारण उन्हें रोक दिया गया।

खनौरी बॉर्डर पर अनशन
किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर हैं। किसानों के अनुसार, अनशन के दौरान उनका वजन 8 किलोग्राम घट चुका है, लेकिन वे आंदोलन जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
सरकार और किसानों के बीच गतिरोध
सरकार और किसानों के बीच यह विवाद तब शुरू हुआ था, जब कृषि कानूनों को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए थे। हालांकी, तीनों विवादित कानूनों को वापस ले लिया गया है, लेकिन किसान संगठनों का कहना है कि उनकी अन्य मांगें अभी भी अनसुनी हैं।
आगे की राह
किसानों के दिल्ली कूच को लेकर शंभू बॉर्डर पर तनावपूर्ण माहौल है। किसानों और सरकार के बीच बातचीत का न होना इस आंदोलन को और भी जटिल बना सकता है। यदि जल्द ही कोई समाधान नहीं निकाला गया, तो यह स्थिति न केवल राष्ट्रीय राजधानी में तनाव बढ़ाएगी, बल्कि किसानों के मुद्दों को लेकर सरकार की छवि पर भी गहरा असर डाल सकती है।