देश में संविधान की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर संसद के शीतकालीन सत्र में संविधान पर विशेष चर्चा आयोजित की जाएगी। लोकसभा में यह चर्चा 13 और 14 दिसंबर को होगी, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 दिसंबर को इसका समापन भाषण देंगे। यह ऐतिहासिक चर्चा भारतीय लोकतंत्र की आधारशिला और संविधान की भावना को सशक्त करने के उद्देश्य से की जा रही है।
लोकसभा में संविधान पर चर्चा की तैयारियां
लोकसभा में यह बहस रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से आरंभ होने की संभावना है। चर्चा के दौरान भारतीय संविधान के विकास, इसकी विशेषताओं, और इसकी भूमिका पर विस्तृत रूप से विचार-विमर्श किया जाएगा।
संसद के सूत्रों के अनुसार, यह बहस केवल लोकसभा तक ही सीमित नहीं रहेगी। राज्यसभा में भी 16 और 17 दिसंबर को इसी मुद्दे पर चर्चा होगी, जहां गृह मंत्री अमित शाह इसकी शुरुआत करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी का जवाब 17 दिसंबर को राज्यसभा में आएगा।
सर्वदलीय सहमति से तय हुई चर्चा
कुछ दिनों पहले संसद में जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इस बैठक में संविधान पर चर्चा का प्रस्ताव रखा गया, जिसे सभी राजनीतिक दलों ने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
इस सहमति के आधार पर ही यह तय किया गया कि 13-14 दिसंबर को लोकसभा और 16-17 दिसंबर को राज्यसभा में संविधान पर चर्चा की जाएगी। यह चर्चा न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि आम जनता के बीच संविधान की भूमिका को और गहराई से समझाने का प्रयास भी है।
संविधान दिवस और 75 वर्षों का सफर
15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश ने अपना संविधान तैयार करने के लिए संविधान सभा का गठन किया। 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान को अंगीकृत किया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया। इस दिन भारत एक लोकतांत्रिक और संप्रभु गणराज्य के रूप में स्थापित हुआ।
साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 नवंबर को संविधान दिवस घोषित किया, ताकि संविधान के महत्व को हर नागरिक तक पहुंचाया जा सके। इस वर्ष संविधान की 75वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है, जो भारतीय लोकतंत्र के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है।
प्रधानमंत्री मोदी का भाषण रहेगा मुख्य आकर्षण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दो दिवसीय चर्चा का समापन करते हुए संसद में संविधान के महत्व, उसकी मौलिक धाराओं और इसके संरक्षण की प्रतिबद्धता पर अपने विचार साझा करेंगे। यह भाषण देशवासियों को संविधान के प्रति सम्मान और जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रेरित करेगा।
संविधान की भावना और आज का भारत
संविधान भारतीय लोकतंत्र की आत्मा है। यह न केवल कानूनों और अधिकारों का मार्गदर्शक है, बल्कि सामाजिक समरसता और न्याय का आधार भी है। संविधान पर यह चर्चा न केवल एक प्रतीकात्मक पहल है, बल्कि यह दर्शाती है कि संविधान आज भी हर भारतीय के जीवन का अभिन्न हिस्सा है।
संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर आयोजित यह बहस भारतीय लोकतंत्र के विकास और संवैधानिक मूल्यों को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह अवसर हर नागरिक को संविधान के महत्व को पुनः समझने और इसके प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराने का मौका देगा।
VIKAS TRIPATHI
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