
मुंबई में “वन नेशन, वन इलेक्शन” पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की अहम बैठक का आयोजन हुआ, जिसे समिति के चेयरमैन और भाजपा सांसद पी.पी. चौधरी ने सकारात्मक और व्यापक संवाद वाला बताया।
बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए चौधरी ने कहा,
“अगर लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जाते हैं, तो इससे लगभग 5 लाख करोड़ रुपये की बचत हो सकती है, जिसका उपयोग गरीबों और जनकल्याणकारी योजनाओं में किया जा सकता है।”
विभिन्न पक्षों के साथ संवाद:
जेपीसी की इस बैठक में विभिन्न स्टेकहोल्डर्स से विचार-विमर्श किया गया, जिसमें शामिल थे:
- महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर और विपक्ष के नेता
- राज्य के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री
- मुंबई यूनिवर्सिटी, IIT Bombay, BSE, बार काउंसिल के प्रतिनिधि
पीपी चौधरी ने कहा कि सभी पक्षों ने गंभीरता से अपने विचार रखे, और अधिकांश चर्चाएं रचनात्मक रहीं। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने अपने राजनीतिक अनुभव साझा करते हुए बताया कि एक साथ चुनाव किस प्रकार राजनीतिक स्थिरता और वित्तीय अनुशासन को बढ़ावा दे सकते हैं।
आर्थिक प्रभाव पर RBI से मांगी रिपोर्ट:
चौधरी ने बताया कि समिति ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से भी आग्रह किया है कि वह GDP पर संभावित प्रभाव, वित्तीय बोझ, और लॉन्ग टर्म इकोनॉमिक बेनिफिट्स पर एक विशेष अध्ययन रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
“हम जानना चाहते हैं कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ से देश की GDP पर क्या प्रभाव पड़ेगा – लाभ या हानि, और किस स्तर तक।”
रायशुमारी का राष्ट्रीय अभियान शुरू:
जेपीसी अब देशभर में राज्यों का दौरा कर आम जनता, संस्थानों, और विशेषज्ञों की राय एकत्र करेगी। इस सिलसिले में महाराष्ट्र में दो दिवसीय दौरा शुरू हो चुका है। इसके बाद अन्य राज्यों में भी व्यापक संवाद किया जाएगा।
“समिति ने तय किया है कि हम सिर्फ दिल्ली में बैठकर निर्णय नहीं लेंगे। हम देश के कोने-कोने में जाकर आम लोगों, संस्थानों, और विशेषज्ञों की राय लेंगे।” – पीपी चौधरी
“वन नेशन, वन इलेक्शन” सिर्फ एक चुनावी फार्मूला नहीं, बल्कि एक आर्थिक और प्रशासनिक सुधार की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। अगर यह योजना लागू होती है, तो इससे न केवल खर्च में भारी कमी आएगी, बल्कि नीतिगत निर्णयों और शासन प्रशासन में भी स्थायित्व आएगा।