Saturday, September 13, 2025
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“किसी भी पद पर कानून से ऊपर कोई नहीं” — किरेन रिजिजू का Opposition पर तीखा हमला, 130वें संशोधन और गेमिंग बिल पर सियासत गर्म

नई दिल्ली, रिपोर्ट: संसद के मॉनसून सत्र में 130वें संविधान संशोधन और ऑनलाइन गेमिंग बिल को लेकर हिंसक हंगामा होने के बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी तरह खुद को बचाने के लिए कानून नहीं लाती — और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यह सिद्ध कर दिया है कि कोई पद कानून से ऊपर नहीं रह सकता। रिजिजू ने कहा कि संसद का सत्र सरकार की नज़रों में सफल रहा जबकि विपक्ष ने सत्र को असफल बनाने की कोशिश की।


रिजिजू की ताज़ा टिप्पणियाँ — सीधा आरोप और सख्त लहज़ा

रिजिजू ने मीडिया इंटरव्यू में स्पष्ट कहा कि 130वें संशोधन का उद्देश्य सार्वजनिक दायित्व और जवाबदेही को मजबूत करना है और इसके खिलाफ हंगामा किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ विपक्षी दलों ने ऊपर से निर्देश पा कर सदन में कागज़ फाड़ने, हंगामा कराना और व्यवस्था भंग करने के आदेश माने — जिसका मकसद सहज रूप से सुर्खियाँ पाना था। रिजिजू ने यह भी कहा कि उन्हें लगातार विपक्षियों को शांत कराते-कराते गला बैठ गया।


130वां संशोधन— क्या प्रस्ताव है और क्यों विवादित?

केंद्र सरकार ने यह बिल पेश किया है ताकि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामलों में यदि वे लगातार 30 दिन तक हिरासत में रहें तो उन्हें पद छोड़ना पड़े — यह प्रावधान पारदर्शिता और जवाबदेही से जोड़ा गया बताया जा रहा है। इसी प्रस्ताव को लेकर सदन में विपक्षी बवाल और विरोध के बाद उसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेज दिया गया।


विपक्ष का रुख — “ग़लत समय और दुरुपयोग का डर”

विपक्षी दलों का कहना है कि ऐसे संवैधानिक संशोधनों पर जल्दबाज़ी में फैसला लोकतांत्रिक परंपरा के अनुरूप नहीं है और इसके दुरुपयोग का जोखिम है — यानी यह प्रावधान सत्तारूढ़ दल के राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने में इस्तेमाल हो सकता है। संसद परिसर में हुए नाटकीय दृश्यों — कागज़ फाड़ना और धक्कामुक्की — ने विवाद को और तेज़ कर दिया।

“देश स्वागत कर रहा है” — रिजिजू का संदेश और राजनीतिक संकेत

रिजिजू ने यह भी कहा कि जनता इस “क्रांतिकारी” बिल का स्वागत कर रही है और कानून के समक्ष किसी का संरक्षण नहीं होना चाहिए — चाहे वह कितना भी बड़ा कर्ता क्यों न हो। उन्होंने यह भी दोहराया कि सरकार ने सदन में पारदर्शिता और बहस की गुंजाइश बनाए रखी, परन्तु विपक्ष के व्यवहारीक कदमों ने बीते दिनों सत्र की कार्यवाही को प्रभावित किया।

क्या आगे होगा? — व्यवहारिक निहितार्थ

फिलहाल विवादित विधेयक को संसद की संयुक्त समिति (JPC) को भेजा जा चुका है, जहाँ उसकी संवैधानिकता, दायरा और संभावित दुरुपयोग के सवालों पर विस्तृत सुनवाई और संशोधन संभव है।

राजनीतिक मोर्चे पर यह बिल दोनों तरफ से चुनावी मुद्दा बन कर उभरेगा — भाजपा इसे “लोकतांत्रिक जवाबदेही” के रूप में पेश करेगी, जबकि विपक्ष इसका राजनीतिक दुरुपयोग का आरोप लगाएगा।

बहस जारी, माहौल गरम

किरण रिजिजू की टिप्पणी ने सत्र के दौरान जो आरोप-प्रत्यारोप चले उन्हें और हवा दे दी है: भाजपा का कहना है कि कानून सभी पर लागू होगा, जबकि विपक्ष इसे राजनीतिक हथियार के रूप में देखता है। अब यह मामला JPC और विधायी प्रक्रिया में किस तरह से सुलझता है — वही भविष्य तय करेगा कि यह पहल देश में जवाबदेही बढ़ाएगी या राजनीति में और तीखे मतभेदों को भड़काएगी।

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VIKAS TRIPATHI
VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
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