Wednesday, July 2, 2025
Your Dream Technologies
HomeDelhi NCRमोहन सिंह बिष्ट: दिल्ली की राजनीति के अनुभवी योद्धा, क्या बन सकते...

मोहन सिंह बिष्ट: दिल्ली की राजनीति के अनुभवी योद्धा, क्या बन सकते हैं मुख्यमंत्री?

परिचय और प्रारंभिक जीवन

मोहन सिंह बिष्ट का जन्म 2 जून 1957 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के अजोली गांव में हुआ। पारंपरिक पहाड़ी परिवेश में पले-बढ़े बिष्ट ने युवावस्था में ही सामाजिक कार्यों में रुचि लेना शुरू कर दिया था। 1976 में वे दिल्ली आए और भारतीय जनसंघ (जो बाद में भारतीय जनता पार्टी में परिवर्तित हुआ) से जुड़ गए। राजनीति के अलावा वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) से भी जुड़े रहे, जिसने उनकी विचारधारा और राजनीतिक दृष्टिकोण को गहराई से प्रभावित किया।

योगी आदित्यनाथ से संबंध

दिल्ली के वरिष्ठ भाजपा नेता मोहन सिंह बिष्ट और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच एक दिलचस्प समानता यह है कि दोनों का जन्म उत्तराखंड में हुआ और दोनों का उपनाम “बिष्ट” है। योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड में अजय सिंह बिष्ट के रूप में हुआ था। हालांकि, उन दोनों के बीच कोई पारिवारिक संबंध नहीं है।

दोनों ही नेता संघ (RSS) की पृष्ठभूमि से आते हैं और हिंदुत्व की विचारधारा से प्रेरित हैं। योगी आदित्यनाथ की तरह, मोहन सिंह बिष्ट भी अपने क्षेत्र में धार्मिक और सांस्कृतिक पहचानों को मजबूत करने के समर्थक हैं। उदाहरण के लिए, बिष्ट ने मुस्तफाबाद का नाम बदलकर “शिवपुरी” या “शिव विहार” करने का प्रस्ताव रखा, जिससे क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान को बल मिले।

राजनीतिक दृष्टि से, योगी आदित्यनाथ और मोहन सिंह बिष्ट की कार्यशैली में कुछ समानताएँ देखी जा सकती हैं। योगी जी की तरह बिष्ट भी प्रभावी नेतृत्व और निर्णय लेने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं। अगर दिल्ली में भाजपा नेतृत्व बदलाव करना चाहता है, तो बिष्ट को एक सख्त और मजबूत प्रशासक के रूप में आगे बढ़ाया जा सकता है।

राजनीतिक सफर और विधानसभा चुनावों में सफलता

मोहन सिंह बिष्ट ने 1998 में पहली बार करावल नगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद वे 2003, 2008, 2013, 2020 और 2025 में लगातार छह बार विधायक बने। उनकी छवि एक जनप्रिय, जमीनी नेता की रही है, जिन्होंने हमेशा अपने क्षेत्र की जनता के मुद्दों को प्राथमिकता दी।

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में, भाजपा ने उन्हें मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा, जो मुस्लिम बहुल इलाका माना जाता है। इस सीट पर आम आदमी पार्टी (AAP), कांग्रेस और AIMIM के उम्मीदवारों से कड़ी टक्कर के बावजूद बिष्ट ने भारी मतों से जीत दर्ज की। यह जीत भाजपा के लिए एक बड़ी रणनीतिक सफलता मानी गई, क्योंकि मुस्तफाबाद की सीट पर आम आदमी पार्टी का मजबूत प्रभाव था।

मुस्तफाबाद के विकास को लेकर दृष्टिकोण

बिष्ट ने चुनाव जीतने के बाद क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता देने की बात कही। उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकताएं हैं:
1. सड़क, बिजली और पानी की समस्या का समाधान
2. यमुना नदी की सफाई
3. शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार
4. आयुष्मान भारत योजना को दिल्ली में लागू करने की मांग, जिससे गरीबों को प्राइवेट अस्पतालों में मुफ्त इलाज मिल सके

इसके अलावा, उन्होंने मुस्तफाबाद का नाम बदलकर “शिवपुरी” या “शिव विहार” करने का भी सुझाव दिया, जिससे इलाके की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को बल मिले।

विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) या मुख्यमंत्री?

चुनाव जीतने के बाद मोहन सिंह बिष्ट का नाम दिल्ली विधानसभा के स्पीकर पद के लिए प्रमुखता से उभरा। भाजपा में कई नेता इस पद के लिए उनके नाम का समर्थन कर रहे हैं, क्योंकि वे छह बार विधायक रह चुके हैं और विधानसभा संचालन का उन्हें अच्छा अनुभव है।

हालांकि, उनका नाम दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के लिए भी चर्चा में है। जब इस बारे में उनसे सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा:
“कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान करता हूं, लेकिन यह फैसला पार्टी नेतृत्व को करना है।”

सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी मोहन सिंह बिष्ट से फोन पर बातचीत की, जिससे अटकलें और तेज हो गईं कि भाजपा दिल्ली में उन्हें महत्वपूर्ण भूमिका देने की योजना बना रही है।

क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री बन सकते हैं मोहन सिंह बिष्ट?

दिल्ली में भाजपा को मुख्यमंत्री पद के लिए एक मजबूत, अनुभवी और जनप्रिय चेहरा चाहिए। अगर हम मोहन सिंह बिष्ट के राजनीतिक सफर और प्रशासनिक अनुभव को देखें, तो वे इस पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार माने जा सकते हैं।

मुख्यमंत्री बनने के लिए उनके पक्ष में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु हैं:
1. छह बार के विधायक हैं, यानी उन्हें विधानसभा की कार्यशैली और राजनीति की गहरी समझ है।
2. RSS और भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता रहे हैं, जिससे संगठन में उनकी मजबूत पकड़ है।
3. मुस्तफाबाद जैसी कठिन सीट पर जीत दर्ज करके उन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता साबित की है।
4. दिल्ली में भाजपा को एक अनुभवी नेता की जरूरत है, जो आम आदमी पार्टी के खिलाफ मजबूत विकल्प पेश कर सके।

हालांकि, कुछ चुनौतियां भी हैं:
• भाजपा दिल्ली में किसी युवा और तेजतर्रार चेहरे को भी आगे बढ़ा सकती है।
• दिल्ली की राजनीति में आम आदमी पार्टी अभी भी मजबूत स्थिति में है, ऐसे में भाजपा कोई नई रणनीति अपना सकती है।
• पार्टी आलाकमान को तय करना होगा कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाए या विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) की भूमिका दी जाए।

मोहन सिंह बिष्ट दिल्ली की राजनीति में एक महत्वपूर्ण नेता हैं। छह बार लगातार विधायक बनने और पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा को देखते हुए वे मुख्यमंत्री पद के एक मजबूत दावेदार बन सकते हैं। हालांकि, अंतिम निर्णय भाजपा नेतृत्व को लेना है।

अगर उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाता है, तो यह दिल्ली की राजनीति के लिए एक बड़ा बदलाव होगा। वहीं, अगर वे विधानसभा अध्यक्ष बनते हैं, तो भी उनकी भूमिका अहम होगी।योगी आदित्यनाथ की तरह, बिष्ट भी संघ से जुड़े, हिंदुत्व की विचारधारा वाले एक सख्त प्रशासक माने जाते हैं। अगर भाजपा दिल्ली में “योगी मॉडल” को लागू करना चाहती है, तो मोहन सिंह बिष्ट उत्तम विकल्प हो सकते हैं।

अब देखना यह है कि भाजपा दिल्ली में किस रणनीति के तहत आगे बढ़ती है और मोहन सिंह बिष्ट को कौन सी जिम्मेदारी सौंपी जाती है

- Advertisement -
Your Dream Technologies
VIKAS TRIPATHI
VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
VIKAS TRIPATHI भारत देश की सभी छोटी और बड़ी खबरों को सामने दिखाने के लिए "पर्दाफास न्यूज" चैनल को लेके आए हैं। जिसके लोगो के बीच में करप्शन को कम कर सके। हम देश में समान व्यवहार के साथ काम करेंगे। देश की प्रगति को बढ़ाएंगे।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments

Call Now Button