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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने BRICS के पूर्ण सत्र में दिए अपने वक्तव्य में दोहरे मापदंडों की कड़ी आलोचना की। खासकर आतंकवाद के मुद्दे पर उनकी टिप्पणी महत्वपूर्ण रही। उन्होंने कहा, “आतंकवाद और आतंकी वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए हमें सभी देशों के एकजुट और दृढ़ समर्थन की आवश्यकता है। इस गंभीर मुद्दे पर दोहरे मापदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। हमें अपने देशों में युवाओं के कट्टरपंथीकरण को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है।”
लेकिन विडंबना यह है कि आतंकवाद के मामले में दोहरे मापदंड आम बात हैं। चीन ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान से जुड़े कुछ व्यक्तियों को आतंकवादी घोषित करने के भारत के प्रयासों को बार-बार बाधित किया है। उदाहरण के लिए, पिछले साल जून में, चीन ने भारत और अमेरिका द्वारा लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य साजिद मीर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव को अवरुद्ध कर दिया। साजिद मीर भारत में 26/11 हमलों के लिए वांछित हैं, और पाकिस्तान में आतंकी वित्तपोषण के आरोप में 15 साल की सजा काट रहे हैं।
इसके अलावा, चीन ने जून 2022 में भारत-अमेरिका के प्रस्ताव को भी अवरुद्ध किया था, जिसमें पाकिस्तान के अब्दुल रहमान मक्की को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की मांग की गई थी। मक्की लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख और 26/11 के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का बहनोई है।
2019 में भी चीन ने पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अज़हर को ब्लैकलिस्ट करने के लिए सुरक्षा परिषद में एकमात्र ‘तकनीकी होल्ड’ रखा था।
नए सदस्यों के प्रवेश पर मोदी की टिप्पणी: चीन को सीधा संदेश
प्रधानमंत्री मोदी की दूसरी महत्वपूर्ण टिप्पणी नए सदस्यों की भर्ती पर थी, जो सीधे तौर पर चीन की ओर इशारा कर रही थी। उन्होंने कहा, “सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाने चाहिए और BRICS के संस्थापक सदस्यों के विचारों का सम्मान होना चाहिए। जोहान्सबर्ग शिखर सम्मेलन में अपनाए गए मार्गदर्शक सिद्धांतों, मानकों, मानदंडों और प्रक्रियाओं का सभी सदस्यों और साझेदार देशों द्वारा पालन किया जाना चाहिए।”
हालांकि, चीन ने अपनी पकड़ का इस्तेमाल करते हुए BRICS में नए सदस्यों को शामिल करने के लिए भारत और ब्राजील के विचारों को नजरअंदाज कर दिया।
वैश्विक संस्थानों में सुधार पर मोदी की स्पष्ट राय
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे वैश्विक संस्थानों में सुधार के मुद्दे पर भी चीन का कोई रुचि नहीं है। स्थायी सदस्य (P5) अपनी शक्ति में किसी प्रकार की कमी नहीं चाहते, न ही रूस और अन्य सदस्य इस शक्ति को छोड़ने के पक्ष में हैं।
अंत में, प्रधानमंत्री मोदी ने BRICS पर ध्यान केंद्रित करते हुए कहा, “हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह संगठन वैश्विक संस्थानों को बदलने की कोशिश करने वाली संस्था के रूप में न देखा जाए, बल्कि एक ऐसी संस्था के रूप में जिसे उन्हें सुधारने की इच्छा हो।”
यह एक सूक्ष्म संदेश था, जो राज्यों और सरकारों के प्रमुखों को यह याद दिला रहा था कि BRICS को अपने मूल आदर्शों के प्रति सच्चा रहना चाहिए, निर्णय सर्वसम्मति से लेने चाहिए और किसी एक देश या सदस्यों के समूह को संगठन की दिशा में प्रभुत्व स्थापित नहीं करना चाहिए।
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VIKAS TRIPATHI
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