Wednesday, October 29, 2025
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IGI Airport पर चमत्कारिक बचाव: लैंडिंग-गीयर से मिला 13 वर्षीय अफगान बच्चा — 94 मिनट की घातक उड़ान बेमौत पूरी

नई दिल्ली,: इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय (IGI) एयरपोर्ट पर रविवार सुबह बोर्डिंग और सुरक्षा व्यवस्था को हिला देने वाली घटना हुई जब काबुल से दिल्ली आ रही KAM Air की फ्लाइट RQ4401 के लैंडिंग-गीयर कम्पार्टमेंट (wheel well) से एक 13 वर्षीय अफगानी बच्चा जिंदा निकला। बच्चे ने लगभग 94 मिनट तक उड़ान भरी — इतनी ऊँचाई और इतनी देर तक जीवित रहना मेडिकल और एविएशन विशेषज्ञों के लिए भी हैरानी का विषय बना हुआ है।

घटना का सिलसिला
आधिकारिक जानकारियों के अनुसार, बच्चा अफगानिस्तान के कुंदुज शहर का रहने वाला है। वह काबुल एयरपोर्ट पर यात्रियों के पीछे-पीछे रनवे तक पहुंचा और उड़ान से पहले विमान के पिछले लैंडिंग-गीयर के व्हील वेल में छिप गया। विमान ने करीब 30,000 फीट की ऊँचाई हासिल की, जहां तापमान माइनस 40℃ से माइनस 60℃ के बीच हो सकता है और ऑक्सीजन की मात्र इतनी कम हो जाती है कि सामान्य मनुष्य कुछ ही मिनटों में बेहोश हो जाता है — फिर भी बच्चा लैंडिंग तक जीवित रहा।

मेडिकल टीम की प्रतिक्रिया
IGI पर मौजूद डॉक्टरों ने बच्चे की प्राथमिक जांच के बाद उसकी स्थिति को हैरान करने वाला और कुछ हद तक चमत्कार बताया। बच्चे में अत्यधिक थकान, ठंड की वजह से शरीर में सुन्नता और हायपोथर्मिया के लक्षण मिले, पर उसे तत्काल चिकित्सा सहायता देकर स्थिर किया गया। डॉक्टरी जांच में बच्चे का तापमान, नाड़ी तथा सांस की दर मॉनिटर की जा रही है और उसे आगे के परीक्षणों व मानसिक समर्थन की जरूरत बतायी गयी है।

बच्चे का बयान
प्राथमिक पूछताछ में बच्चे ने माना कि उसका इरादा ईरान जाना था, पर ग़लती से वह इस विमान में छिप गया और दिल्ली आ गया। उसने बताया कि जिज्ञासा और रोमांच के कारण इस कदम को अंजाम दिया गया — यह बयान बच्चे की उम्र और समझ को ध्यान में रखते हुए लिया गया माना जा रहा है।

सुरक्षा-व्यवस्था पर सख्त सवाल
घटना ने काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था और ग्राउंड हैंडलिंग पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं:

कैसे एक नाबालिग बिना पकड़े रनवे और विमान तक पहुंच पाया?

क्या ग्राउंड सर्विलांस, फेन्सिंग और बैग/पासेंजर चेकिंग में कोताही थी?

व्हील वेल जैसी संवेदनशील जगहों तक पहुंचने वाले व्यक्तियों की रिस्क-रिडक्शन के लिए क्या अतिरिक्त क्लोज-सर्किट निगरानी और कर्मियों की तैनाती जरूरी नहीं?

एविएशन विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों से न केवल स्टोवअवे के जीवन को खतरा है बल्कि टेकऑफ/लैंडिंग के दौरान विमान उपकरणों के लिए भी जोखिम पैदा हो सकता है। एयरपोर्ट और एयरलाइंस दोनों के तंत्र की जाँच तथा सुरक्षा मानकों की समीक्षा की मांग उठ रही है।

अंतरराष्ट्रीय और मानवीय निहितार्थ
यह घटना सिर्फ सुरक्षा मुद्दा नहीं है—इसके मानवीय पहलू भी गहरे हैं:

संघर्षग्रस्त और अस्थिर क्षेत्रों के बच्चे ऐसी जोखिम भरी हरकत क्यों करते हैं — भाग जाने, बेहतर जीवन या सिर्फ रोमांच की वजह?

बच्चों की गिरती सुरक्षा, बेसिक सुविधाओं की कमी और आकांक्षाओं ने किस हद तक उन्हें जोखिम भरे फैसले लेने पर मजबूर कर दिया है?
इसीलिए सुरक्षा जांच के साथ-साथ यह भी जरूरी है कि बच्चों की सुरक्षा, परिवार और हत्या-आश्रित सहायता पर भी ध्यान दिया जाए।

अब क्या कदम उठाये जा रहे हैं
दिल्ली के इमीग्रेशन और चाइल्ड वेलफेयर अधिकारी बच्चे की पहचान और परिवार से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं।

चिकित्सा, मनोवैज्ञानिक सहायता और अस्थायी संरक्षण/रेक्वेस्ट की व्यवस्थाएँ की जा रही हैं, ताकि उसके साथ न्यायपूर्ण और संवेदनशील तरीके से व्यवहार हो।

दोनों देशों के विमानन व सुरक्षा नियामकों से विवरण मांगा जाना संभव है ताकि काबुल एयरपोर्ट पर हुए संभावित सुरक्षा उल्लंघनों की पड़ताल हो सके।

विशेषज्ञों का नजरिया
एविएशन विशेषज्ञों का कहना है कि व्हील-वेल स्टोवअवे की घटनाएँ दुर्लभ नहीं हैं, पर ज्यादातर केसों में बच्चे या वयस्क ऊँचाई, ठंड और ऑक्सीजन की कमी के कारण लापता या मृत पाए जाते हैं। इस बार जीवित बचने का कारण विशिष्ट परिस्थितियों — जैसे फ्लाइट प्रोफाइल, व्यक्ति की शारीरिक स्थिति या व्हील-वेल के भीतर मिलने वाली किसी तरह की सुरक्षा — पर निर्भर कर सकता है, जिसकी विस्तृत तकनीकी जाँच आवश्यक है।

IGI एयरपोर्ट पर मिले इस 13 वर्षीय अफगानी बच्चे का जीवित निकल आना उम्मीद और चिंता—दोनों संदेश देता है: उम्मीद इसलिए कि एक मानव-जीवन असंभव परिस्थितियों में बच गया; चिंता इसलिए कि वैश्विक एयरपोर्ट सुरक्षा-मानकों और सीमापार मानवीय संकटों पर गंभीर प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। इस मामले की प्रारम्भिक जाँच से जो भी कारण सामने आएँगे, वे न केवल काबुल एयरपोर्ट के लिए बल्कि वैश्विक एविएशन सुरक्षा व्यवस्था के लिए सीख साबित होंगे।

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