
नई दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सांसदों के अवकाश स्वीकृति के लिए एक विशेष समिति का गठन किया है। यह समिति सदन की कार्यवाही से अनुपस्थित रहने वाले सांसदों के अवकाश आवेदनों पर विचार करेगी। भाजपा सांसद और त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री विप्लव कुमार देव को इस समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। समिति में कुल 15 सदस्य शामिल किए गए हैं।
अमृतपाल सिंह की याचिका के बीच हुआ समिति का गठन
इस समिति का गठन ऐसे समय में हुआ है जब पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट जेल में बंद सांसद अमृतपाल सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। अमृतपाल असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं और उन्होंने संसद सत्र में भाग लेने की अनुमति मांगी है। उनका तर्क है कि यदि वह 60 दिनों तक सदन से अनुपस्थित रहते हैं, तो उनकी संसद सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाएगी। इस समिति के गठन की जानकारी कोर्ट को भी दी गई है।
समिति में शामिल सदस्य
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा गठित इस 15 सदस्यीय समिति में विभिन्न दलों के सांसदों को शामिल किया गया है:
- भाजपा: सौमित्र खान, ज्ञानेश्वर पाटिल, जय प्रकाश, गोपाल ठाकुर, मनसुखभाई वसावा
- सपा: आनंद भदौरिया
- टीएमसी: असित कुमार मल
- कांग्रेस: गोवाल पदवी, वीके श्रीकंदन, प्रशांत पडोले
- माकपा: अमरा राम
- तेदेपा: केसिनेनी शिवनाथ
- झामुमो: नलिन सोरेन
क्या अमृतपाल सिंह को मिलेगी संसद में जाने की अनुमति?
संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण 10 मार्च से शुरू होकर 4 अप्रैल तक चलेगा। अगर अमृतपाल सिंह को इस सत्र में भाग लेने की अनुमति नहीं मिली, तो लगातार 60 दिनों तक सदन से अनुपस्थित रहने के कारण उनकी सदस्यता रद्द हो सकती है। यह देखना अहम होगा कि समिति इस पर क्या फैसला लेती है।
अगले हफ्ते होगी कोर्ट में सुनवाई
अमृतपाल सिंह की याचिका पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सत्य पाल जैन और अधिवक्ता धीरज जैन ने लोकसभा सचिवालय की ओर से पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि विप्लव देव की अध्यक्षता में बनी समिति 24 फरवरी को गठित की गई थी, जो सांसदों के अवकाश से जुड़े मामलों पर निर्णय लेगी।
अमृतपाल सिंह के वकील आरएस बैंस कोर्ट में पेश नहीं हो सके और दलीलों के लिए अतिरिक्त समय मांगा। इस पर अदालत ने सुनवाई अगले सप्ताह के लिए स्थगित कर दी। अमृतपाल ने संविधान के अनुच्छेद 101 का हवाला देते हुए संसद की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति की मांग की है। अब देखना होगा कि कोर्ट और लोकसभा की समिति इस मामले में क्या फैसला लेती है।

VIKAS TRIPATHI
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