
मुंबई,
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने की अपनी बहुप्रतीक्षित इच्छा को सार्वजनिक रूप से जाहिर किया है। छह बार उपमुख्यमंत्री बनने के बावजूद, उन्हें राज्य की सबसे ऊंची कुर्सी कभी नहीं मिल सकी। उन्होंने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि सामंजस्य की कमी के कारण यह अब तक संभव नहीं हो पाया।
मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए अजित पवार ने कहा:
“मैं कई वर्षों से सोच रहा हूं कि मुझे मुख्यमंत्री बनना चाहिए, लेकिन सामंजस्य कहां बन रहा है?”
इस कार्यक्रम में मौजूद पत्रकार राही भिडे ने महाराष्ट्र को भविष्य में महिला मुख्यमंत्री मिलने की बात कही थी, जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए अजित पवार ने यह टिप्पणी की।
“महाराष्ट्र को मिलेगी महिला मुख्यमंत्री”: अजित पवार का भरोसा
अजित पवार ने कहा कि वह आश्वस्त हैं कि एक दिन महाराष्ट्र को भी एक महिला मुख्यमंत्री मिलेगी, जैसा कि ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में बनीं। उन्होंने कहा:
“यह फुले, शाहू और आंबेडकर का महाराष्ट्र है। यहां भी महिलाओं को नेतृत्व का अवसर मिलेगा।”
छह बार उपमुख्यमंत्री, लेकिन कभी मुख्यमंत्री नहीं
अजित पवार का राजनीतिक सफर उल्लेखनीय रहा है। उन्होंने अब तक छह बार उपमुख्यमंत्री पद संभाला है:
- 2010: पृथ्वीराज चव्हाण सरकार (कांग्रेस-एनसीपी)
- 2012: पुनः कांग्रेस-एनसीपी सरकार
- 2019 (नवंबर): भाजपा के देवेंद्र फडणवीस के साथ 80 घंटे की सरकार
- 2020-2022: महा विकास अघाड़ी सरकार में
- 2023: भाजपा से गठबंधन कर पांचवीं बार उपमुख्यमंत्री
- 2024: महायुति सरकार में छठी बार उपमुख्यमंत्री
इसके बावजूद मुख्यमंत्री की कुर्सी उनसे अब तक दूर रही है।
राजनीतिक संदेश या व्यक्तिगत पीड़ा?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अजित पवार का यह बयान न केवल निजी महत्वाकांक्षा को दर्शाता है, बल्कि महाराष्ट्र की वर्तमान राजनीतिक अस्थिरता और शक्ति संतुलन पर भी एक कटाक्ष है।एनसीपी (अजित गुट) के नेताओं द्वारा पहले भी यह मांग उठाई जा चुकी है कि अजित पवार को मुख्यमंत्री बनाया जाए, लेकिन भाजपा के साथ गठबंधन की सीमाएं शायद उनके रास्ते की सबसे बड़ी बाधा हैं।

VIKAS TRIPATHI
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