
देवेंद्र फडणवीस, जो कभी महाराष्ट्र बीजेपी में संतुलन और समझौते का चेहरा माने जाते थे, आज पार्टी का सबसे मजबूत चेहरा बन गए हैं। उन्होंने न सिर्फ विपक्षी दिग्गजों बल्कि अपने ही पार्टी के कई दिग्गज नेताओं को भी पीछे छोड़ दिया। 2014 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने वाले फडणवीस को 2024 में भी पार्टी ने मुख्यमंत्री पद के लिए चुना, जो उनकी बढ़ती राजनीतिक ताकत का प्रमाण है।
2013: जब संतुलन साधने के लिए चुने गए प्रदेश अध्यक्ष
2013 में जब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया, तो बीजेपी में बड़े स्तर पर संगठनात्मक बदलाव हुए। महाराष्ट्र में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नितिन गडकरी और गोपीनाथ मुंडे के गुटों में टकराव था। गडकरी चाहते थे कि सुधीर मुनगंटीवार अध्यक्ष बनें, जबकि मुंडे एकनाथ खडसे को इस पद पर देखना चाहते थे।
दोनों गुटों के बीच संतुलन बनाते हुए पार्टी ने देवेंद्र फडणवीस को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। नागपुर से आने वाले फडणवीस की आरएसएस में भी मजबूत पकड़ थी, जिसने उनकी नियुक्ति में अहम भूमिका निभाई।
2014: ‘देश में नरेंद्र, महाराष्ट्र में देवेंद्र’
2014 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बीजेपी की जबरदस्त जीत के बाद महाराष्ट्र में एक नारा गूंजने लगा— ‘देश में नरेंद्र, महाराष्ट्र में देवेंद्र।’
इस नारे के साथ फडणवीस को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी गई। उन्होंने 2014 से 2019 तक मुख्यमंत्री के रूप में काम किया।
2019: सत्ता से बाहर, लेकिन राजनीति में सक्रिय
2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन शरद पवार की रणनीति के चलते फडणवीस को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। हालांकि, उन्हें नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया।
2022 में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद, फडणवीस ने सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई और डिप्टी सीएम बने। उन्हें गृह और वित्त जैसे अहम विभाग दिए गए।
बड़े नामों को किया पीछे
फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने के समय एकनाथ खडसे, पंकजा मुंडे, नितिन गडकरी, और विनोद तावड़े जैसे दिग्गज नेता भी सीएम पद की दौड़ में थे।
- नितिन गडकरी केंद्र में मंत्री बनने के कारण दिल्ली चले गए।
- विनोद तावड़े अपनी डिग्री विवाद में फंसे और 2019 में टिकट कट गया।
- पंकजा मुंडे चुनाव लड़ीं लेकिन परली से हार गईं।
- एकनाथ खडसे ने पार्टी छोड़ दी।
2023: शरद पवार को किया चेकमेट
2019 में शरद पवार की रणनीति ने फडणवीस को मुख्यमंत्री बनने से रोका था। लेकिन 2023 में फडणवीस ने एनसीपी को तोड़ते हुए अजित पवार को अपने साथ मिला लिया।
यही नहीं, जिन अजित पवार ने 2019 में उनकी मुख्यमंत्री बनने की राह रोकी थी, उन्हीं की मदद से फडणवीस 2024 में फिर से मुख्यमंत्री बनने की ओर बढ़ रहे हैं। अब बीजेपी के कई नेता फडणवीस को शरद पवार से भी बड़ा राजनीतिक चाणक्य मानने लगे हैं।
संघ से लेकर मुख्यमंत्री तक का सफर
फडणवीस ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से की थी।
- 1992 में नागपुर नगर निगम के पार्षद बने।
- 1997 में नागपुर के सबसे युवा मेयर बने।
- 1999 में नागपुर पश्चिम से विधायक बने और लगातार इस सीट से जीतते रहे।
- 2013 में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बने।
- 2014 में पहली बार मुख्यमंत्री बने।
- 2022 में डिप्टी सीएम और गृह मंत्री का पद संभाला।
देवेंद्र फडणवीस की राजनीतिक यात्रा यह दिखाती है कि कैसे एक संतुलनकारी चेहरा महाराष्ट्र में बीजेपी का सबसे मजबूत नेता बन गया। उनकी मजबूत पकड़ न केवल पार्टी संगठन में है, बल्कि जनता के बीच भी उनकी लोकप्रियता बरकरार है।