
श्रीनगर |
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को एक भावुक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ उनके निर्भीक रुख और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए आवाज़ उठाने पर गहरा आभार जताया।
“इन अंधेरे समयों में आपकी आवाज़ एक रोशनी की किरण है”
महबूबा मुफ्ती ने लिखा,
“जब भारत में असहमति को अपराध माना जा रहा है, तब आपकी स्पष्ट और नैतिक आवाज़ ताज़ी हवा के झोंके जैसी है। इन अंधेरे समयों में आपका साहस और अडिग रुख एक दुर्लभ किरण है, जो हमें उम्मीद देता है।”
उन्होंने कहा कि देश में जिस तरह से बहुसंख्यकवाद का एजेंडा फैलाया जा रहा है, वह भारत की विविधता, बहुलता और धर्मनिरपेक्षता की आत्मा पर चोट कर रहा है।
“वक्फ कानून सिर्फ एक संशोधन नहीं, एक समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है”
महबूबा ने पत्र में चेताया कि नया वक्फ संशोधन कानून केवल कागज़ी बदलाव नहीं, बल्कि यह मुसलमानों की धार्मिक आज़ादी को धीरे-धीरे खत्म करने की कोशिश है। उन्होंने लिखा कि यह क़दम जम्मू-कश्मीर के धारा 370 खत्म करने, राज्य के विभाजन और संविधान से विशेष दर्जे को हटाने जैसे पुराने ज़ख्मों को फिर कुरेदता है।
“न्याय और समावेशिता के लिए खड़ी हुईं तीन आवाज़ें”
महबूबा मुफ्ती ने ममता बनर्जी, स्टालिन और सिद्धारमैया को उन लाखों मुस्लिम नागरिकों की ओर से शुक्रिया कहा, जो आज खुद को बेज़ुबान और हाशिए पर पड़ा महसूस कर रहे हैं। उन्होंने लिखा:
“आपका नेतृत्व और समर्थन इस देश की आत्मा को ज़िंदा रखने की कोशिश है। आप जैसे लोग ही संविधान के असली संरक्षक हैं।”
राजनीति नहीं, संवैधानिक चेतना की लड़ाई
इस पत्र के ज़रिए महबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि यह लड़ाई किसी एक पार्टी की नहीं, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक आत्मा की रक्षा की लड़ाई है। जब सत्ताधारी शक्तियाँ धार्मिक संस्थानों और अल्पसंख्यक अधिकारों पर निशाना साध रही हैं, तब विपक्ष की एकजुटता न्याय की उम्मीद बनकर उभरी है।
यह सिर्फ पत्र नहीं, एक ऐलान है – कि अब चुप्पी नहीं, प्रतिरोध होगा।

VIKAS TRIPATHI
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