
हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की करारी हार के बाद, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) अब चुनावी नतीजों के बाद पैदा हुए संकट से जूझ रही है। सिरसा से सांसद और AICC की महासचिव कुमारी शैलजा ने इस हार पर अविश्वास जताते हुए कहा, “हमारी हार जितनी बुरी हुई, वह विश्वास से परे है।”
नेतृत्व पर उठे सवाल
शैलजा ने पार्टी की हार के लिए हरियाणा इकाई के नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया, खासकर पार्टी के रणनीतिक फैसलों और आंतरिक गुटबाजी पर सवाल उठाए। उन्होंने प्रमुख नेताओं जैसे दीपक बावरिया (हरियाणा मामलों के प्रभारी), उदय भान (प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष), भूपिंदर सिंह हुड्डा (विधानसभा दल के नेता), और दीपेंद्र हुड्डा (रोहतक सांसद) की आलोचना की, जिन्होंने चुनावी अभियान पर एकाधिकार जमाया और राहुल गांधी द्वारा किए गए प्रयासों का फायदा नहीं उठाया।
राहुल गांधी की जमीन का सही इस्तेमाल नहीं
कुमारी शैलजा ने राज्य इकाई पर राहुल गांधी द्वारा तैयार की गई जमीन का फायदा नहीं उठाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “राज्य इकाई ने राहुल गांधी जी द्वारा बनाई गई जमीन पर काम करने में असफलता दिखाई।” उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि उन्हें प्रचार से क्यों बाहर रखा गया और टिकट वितरण पर एकाधिकार क्यों किया गया।
गुटबाजी और आंतरिक असंतोष
चुनाव से पहले हरियाणा कांग्रेस इकाई में गुटबाजी की स्थिति साफ दिखाई दी। शैलजा ने कहा कि पार्टी के कई कार्यकर्ता नजरअंदाज महसूस कर रहे थे, जिससे आंतरिक असंतोष बढ़ा। शैलजा ने कहा कि उन्होंने जमीनी कार्यकर्ताओं को दरकिनार करने के खिलाफ आवाज उठाई, लेकिन नेतृत्व ने कोई जवाब नहीं दिया।
रणनीतिक फैसलों की आलोचना
कुमारी शैलजा ने चुनाव अभियान के रणनीतिकारों की टीम की आलोचना की, जिनके फैसलों को गलत बताते हुए कहा, “इन लोगों द्वारा नियंत्रित किए गए रणनीतिकारों की टीम के नतीजे आज सामने हैं।” उन्होंने कहा कि पार्टी नेतृत्व की टीम ने जनता की भावनाओं को सही तरीके से नहीं समझा, जिससे पार्टी का आधार कमजोर हो गया।
ईवीएम छेड़छाड़ के आरोप
कांग्रेस ने चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए ईवीएम में छेड़छाड़ के गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने हिसार, महेंद्रगढ़, और पानीपत जिलों में ईवीएम की कार्यप्रणाली पर संदेह जताते हुए कहा कि परिणाम “पूरी तरह से अप्रत्याशित और चौंकाने वाले” थे। उन्होंने कहा कि इन परिणामों ने पार्टी के जमीनी स्तर के आकलनों को गलत साबित किया।
कांग्रेस ने चुनावी नतीजों को खारिज कर दिया और बीजेपी पर चुनावी प्रक्रिया को विकृत करने का आरोप लगाया। रमेश ने कहा, “यह लोगों की इच्छा और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की विकृति की जीत है।” पार्टी ने ईवीएम खराबी से संबंधित शिकायतों को चुनाव आयोग के सामने रखने की योजना बनाई है।
बीजेपी की जीत और कांग्रेस की चुनौतियां
चुनावी परिणामों में बीजेपी ने 39 सीटें जीतीं और 10 अन्य पर बढ़त बनाई, जिससे वह आसानी से बहुमत के निशान 46 सीटों को पार कर गई। यह परिणाम कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हुआ, और बीजेपी की तरफ मतदाता भावना में बड़ा बदलाव देखने को मिला, खासकर उन वर्गों में जिन्होंने ऐतिहासिक रूप से कांग्रेस का समर्थन किया था।
निष्कर्ष: कांग्रेस के लिए आगे की राह
हरियाणा में मिली हार ने कांग्रेस पार्टी के भीतर गंभीर मुद्दों को उजागर किया है। कुमारी शैलजा की स्पष्ट आलोचना से यह स्पष्ट हो जाता है कि पार्टी को गुटबाजी और नेतृत्व की विफलता से जूझना होगा। भविष्य में, कांग्रेस को इन आंतरिक विवादों को सुलझाने और अपने जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच विश्वास बहाल करने की आवश्यकता है, ताकि पार्टी फिर से अपना आधार मजबूत कर सके और अगले चुनावों में बेहतर प्रदर्शन कर सके।

VIKAS TRIPATHI
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