Saturday, September 13, 2025
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बलिया: अधीक्षण अभियंता को घूंसे-टप्पे और चप्पल से पीटा गया; वायरल वीडियो ने बढ़ाई तनाव की आशंका

बलिया: महानगर सिविल लाइन स्थित अधीक्षण अभियंता कार्यालय में बुधवार/गुरुवार को हुई मारपीट का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इलाके में तनाव फैल गया है। वायरल फुटेज में दिखता है कि एक उपभोक्ता व भाजपा से जुड़ा बताया जा रहा नेता मुन्ना बहादुर सिंह और उसके समर्थक अधीक्षण अभियंता लालाजी सिंह (एससी) पर हमला करते हैं — कथित रूप से जूते-चप्पल से पीटकर घायल कर दिया गया। घायल अधिकारी को जिला अस्पताल की आपात-शाखा में भर्ती करवाया गया है।


घटना क्रम — क्या हुआ था

क्षेत्र के लोगों के अनुसार बासवार उपकेंद्र से सागरपाली, फेफना सहित लगभग 24 गांवों को बिजली आपूर्ति होती है। मानसून के दौरान बार-बार फाल्ट और मरम्मत की धीमी कार्रवाई के कारण इन गांवों में कई दिनों तक बिजली कटौती की समस्या रहती है।

इसी को लेकर स्थानीय भाजपा नेता मुन्ना बहादुर सिंह समर्थकों के साथ बिजली कटौती व फॉल्ट मरम्मत की शिकायत लेकर अधीक्षण अभियंता कार्यालय पहुंचे।

उस समय अधीक्षण अभियंता कार्यालय के पिछले कमरे में बैठे हुए लालाजी सिंह किसी वैसीसी (VC) / मीटिंग में शामिल थे। शिकायत करने के दौरान कर्मचारियों और उपस्थित लोगों के बीच कहासुनी हुई और विवाद बढ़ गया।

जानकारी के अनुसार विवाद के बाद मुन्ना ने कार्यालय के अंदर जाकर जूता-चप्पल निकालकर अभियंता पर प्रहार किया; घटना के बाद वहां मौजूद कर्मचारी व समर्थकों ने आरोपित को पकड़ा और बाहर निकाल दिया। वायरल वीडियो में घायल अधिकारी को फर्श पर या कुर्सी पर तड़पता भी दिखाया गया है।


दोनों पक्षों की तहरीरें और पुलिस कार्रवाई

घटना के तुरंत बाद मौके पर सीओ सिटी श्यामकांतकोतवाल राकेश कुमार सिंह पहुंचे और स्थिति की पूछताछ की।

दोनों पक्षों — यानी मुन्ना बहादुर व कुछ कर्मचारियों/अभियंता — ने पुलिस को अलग-अलग तहरीरें दी हैं। मुन्ना ने एससी और कर्मचारियों पर मारपीट का आरोप लगाया है जबकि अधीक्षण अभियंता (या उनके प्रतिनिधि) ने मुन्ना व अज्ञात लोगों के खिलाफ मारपीट व जानलेवा हमले की तहरीर सौंप दी है।

कोतवाल ने कहा है कि दोनों तरफ से तहरीरें मिल गई हैं और मामले की जांच की जा रही है; आगे की कार्रवाई जांच के आधार पर होगी।

घायल अधिकारी और अस्पतालिक हालात

स्थानीय सूत्रों के अनुसार घायल अधीक्षण अभियंता को प्राथमिक इलाज के बाद जिला अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती कराया गया है। उनका इलाज जारी है; उनकी हालत स्थिर/गंभीर (स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं) बताई जा रही है।

घटना का वीडियो जब सोशल मीडिया पर आया तो स्थानीय लोगों में रोष बढ़ा और अस्पताल तथा कार्यालय पर अफरा-तफरी का माहौल देखा गया।

शिकायतों का मूल कारण — बिजली आपूर्ति और मरम्मत की समस्या

स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि बरसात के मौसम में लाइनमैन की सुस्ती, मरम्मत में देरी और कटौती बार-बार होती है — कई बार लोग तीन–चार दिन तक अंधेरे में रहने को मजबूर रहते हैं।

इस बार भी फाल्ट रिपेयर व लाइनमैन न आने की शिकायत पर उपभोक्ता कार्यालय में कठिनाई का सामना कर रहे थे, जो विवाद का सीधे कारण बना। कई ग्रामीणों ने कहा कि बार-बार शिकायत के बावजूद समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल रहा।


कानूनी पहलू और आगे की संभावना

इस तरह की घटनाओं में आमतौर पर मारपीट, सार्वजनिक स्थान पर हिंसा, जानलेवा आक्रमण आदि के तहत प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है — और यदि कैमरा फुटेज/सीसीटीवी उपलब्ध है तो उसे सबूत के रूप में संलग्न किया जाएगा।

पुलिस की प्राथमिक जांच में CCTV फुटेज, दोनों पक्षों के बयान और अस्पताल के मेडिकल रिव्यू अहम भूमिका निभाएंगे। उसी के आधार पर आरोप तय होंगे और गिरफ्तारी/छोड़-छाड़, अग्रिम जमानत या चार्जशीट की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।


प्रशासन और विभाग की जवाबदेही — क्या कह रहा बिजली विभाग?

इस रिपोर्ट के तैयार होने तक बिजली विभाग की ओर से कोई आधिकारिक बयान उपलब्ध नहीं था। स्थानीय निवासी व विपक्षी ओर से विभाग पर लापरवाही व शिकायत न सुनने का आरोप लगाया जा रहा है।

बिजली वितरण के स्थायी समाधान, फाल्ट-रिपेयर समयसीमा व शिकायत निवारण प्रक्रिया पर प्रशासन से स्पष्टीकरण की मांग उठ रही है।


सामाजिक-राजनीतिक असर और सार्वजनिक प्रतिक्रिया

वायरल वीडियो के बाद सोशल मीडिया पर भी घटना पर तीखी प्रतिक्रियाएँ आईं — कुछ ने अधिकारी की सुरक्षा तथा कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए तो कुछ ने उपभोक्ताओं की बिजली से जुड़ी परेशानियों को समझते हुए प्रशासन पर नाराज़गी जताई।

स्थानिक राजनैतिक रंग—क्योंकि आरोपित नेता भाजपा से जुड़े बताए जा रहे हैं—इस घटना को राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप में भी बदल सकता है; इसलिए प्रशासनिक निष्पक्ष जांच की मांग जोर पकड़ रही है।


क्या होना चाहिए—आगे के कदम (सुझाव)

  1. पुलिस की तेज़ और निष्पक्ष जांच: CCTV व मोबाइल फुटेज तुंरत संकलित कर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराना चाहिए।
  2. मेडिकल रिपोर्ट सार्वजनिक होना: घायल अधिकारी की चोटों की विस्तृत रिर्पोट पर ही कानूनी धाराओं का निर्धारण होगा।
  3. विभागीय आकलन: बिजली विभाग को फाल्ट-रिपेयर और उपभोक्ता शिकायत निवारण प्रक्रियाओं का सार्वजनिक ऑडिट कराना चाहिए।
  4. स्थानीय शांति बनाए रखना: प्रशासन को तनाव को बढ़ने से रोकने के लिए हर पक्ष के साथ समन्वय करना होगा।

बलिया की यह घटना स्थानीय बेरुखी और बिजली आपूर्ति से जुड़ी पुरानी गड़बड़ियों का परिणाम प्रतीत होती है, जिसके ऊपर कानून-व्यवस्था और विभागीय जवाबदेही दोनों सवालिया निशान लगा रहे हैं। वीडियो के वायरल होने के बाद जरूरी है कि पुलिस त्वरित, पारदर्शी और निष्पक्ष जांच कर के दोषियों पर कार्रवाई करे और जनता तथा कर्मचारियों के बीच वैधानिक सुरक्षा और उपलब्धता सुनिश्चित करने के ठोस कदम उठाये जाएँ।

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VIKAS TRIPATHI
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