Saturday, July 5, 2025
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लोकसभा अध्यक्ष के दौरे पर प्रोटोकॉल उल्लंघन: देहरादून के डीएम साविन बंसल से मांगा गया स्पष्टीकरण

देहरादून | 2 जुलाई 2025 — लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की 12 जून को मसूरी यात्रा के दौरान उत्तराखंड प्रशासन की ओर से प्रोटोकॉल का पालन नहीं करने का मामला अब सुर्खियों में है। इस पूरे विवाद की जड़ में हैं देहरादून के जिलाधिकारी साविन बंसल, जिन पर लोकसभा सचिवालय और कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय ने गंभीर असहयोग और शिष्टाचार उल्लंघन के आरोप लगाए हैं।

डीएम ने नहीं उठाया फोन, नहीं की कॉल बैक: पत्र में आरोप

लोकसभा सचिवालय और डीओपीटी की ओर से 17 जून और 19 जून को उत्तराखंड शासन को भेजे गए पत्रों में कहा गया है कि डीएम साविन बंसल से बार-बार संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने न सिर्फ फोन नहीं उठाया बल्कि कोई प्रतिक्रिया या सहयोग भी नहीं दिया। मजबूर होकर स्पीकर के कार्यालय को मुख्यमंत्री कार्यालय से संपर्क करना पड़ा, जिसके बाद ही डीएम ने स्पीकर कार्यालय से संपर्क साधा।

अध्यक्ष को नहीं मिला ‘पद के अनुरूप सम्मान’

प्रोटोकॉल विभाग के सचिव विनोद कुमार सुमन ने 25 जून को जिलाधिकारी को एक पत्र लिखकर इस पूरे मामले पर स्पष्ट और विस्तृत रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। पत्र में कहा गया है कि ओम बिरला को उनके पद के अनुरूप सम्मान और सहयोग नहीं मिला, जो कि स्थापित प्रोटोकॉल मानकों का सीधा उल्लंघन है।

इस पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि डीएम हवाई अड्डे पर अध्यक्ष की अगवानी और विदाई के लिए भी मौजूद नहीं थे, जिसे शिष्टाचार के लिहाज से एक बड़ी चूक माना जा रहा है।

डीएम साविन बंसल: एक प्रतिष्ठित लेकिन विवादों से अछूते नहीं

साविन बंसल, 2009 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और मूल रूप से हरियाणा से हैं। उन्होंने NIT कुरुक्षेत्र से बीटेक किया है और लंदन यूनिवर्सिटी से रिस्क एंड डिजास्टर मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। वह पहले अल्मोड़ा और नैनीताल के जिलाधिकारी भी रह चुके हैं।

वर्ष 2021 में उन्हें यूके की प्रतिष्ठित कॉमनवेल्थ स्कॉलरशिप के लिए भारत से एकमात्र आईएएस अफसर के रूप में चुना गया था, जो उनकी शैक्षणिक प्रतिभा और प्रशासनिक क्षमता को दर्शाता है।

क्या कहती है विशेषज्ञ समिति?

लोकसभा की विशेषाधिकार समिति के अतिरिक्त सचिव द्वारा भी यह स्पष्ट किया गया है कि डीएम की ओर से दिखाया गया रवैया असहयोगी और असभ्य रहा। अब यह मामला सिर्फ प्रोटोकॉल उल्लंघन का नहीं, बल्कि संसदीय गरिमा और प्रशासनिक जवाबदेही से भी जुड़ गया है।

लोकसभा अध्यक्ष जैसे संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति की यात्रा के दौरान प्रोटोकॉल का उल्लंघन एक गंभीर प्रशासनिक चूक मानी जा रही है। ऐसे में डीएम साविन बंसल की प्रतिक्रिया और राज्य सरकार की कार्रवाई पर अब पूरे देश की नजरें टिकी हैं। यह मामला स्पष्ट करता है कि उच्च प्रशासनिक पदों पर बैठे अधिकारियों को केवल दक्षता ही नहीं, बल्कि संवैधानिक गरिमा का भी सम्मान करना आवश्यक है।

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VIKAS TRIPATHI
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