
कहते हैं, “सच्ची ताकत वही होती है, जो दर्द को हौसले में बदल दे।” उत्तराखंड की सोनी बिष्ट ने अपने जीवन में आए सबसे कठिन दौर को अपनी ताकत बनाया और भारतीय सेना में शामिल होकर एक मिसाल पेश की।
शादी के एक महीने बाद ही पति को खो दिया
जनवरी 2023 में, एक दुर्घटना में 18 कुमाऊं रेजिमेंट के सिपाही नीरज सिंह भंडारी शहीद हो गए। यह हादसा उनकी पत्नी सोनी बिष्ट के लिए किसी गहरे आघात से कम नहीं था। लेकिन उन्होंने हार मानने के बजाय अपने पति की याद को ताकत बनाया और सेना की वर्दी पहनकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
पिता से मिली प्रेरणा, ‘वीर नारी प्रवेश योजना’ से बनीं सेना का हिस्सा
सोनी के पिता कुंदन सिंह, जो ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स बटालियन में सूबेदार रहे हैं, ने बेटी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। जब उन्हें ‘वीर नारी प्रवेश योजना’ के बारे में पता चला, तो उन्होंने सेना में शामिल होने का फैसला किया। अपनी मेहनत और संकल्प से उन्होंने भारतीय सेना के आर्मी ऑर्डनेंस कॉर्प्स में जगह बनाई।
चेन्नई में दिखा महिला सशक्तिकरण का उदाहरण
चेन्नई के ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (OTA) में जब सोनी बिष्ट ने परेड में भाग लिया, तो वह सिर्फ एक कैडेट नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनीं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि कठिनाइयां रास्ता रोक नहीं सकतीं, अगर हौसला बुलंद हो।

संघर्ष से सफलता तक – एक और प्रेरणादायक कहानी
ओटीए की पासिंग आउट परेड में असम के वेद विजय नियोग भी शामिल हुए, जिन्होंने कई सालों तक संघर्ष किया। दिल्ली में उन्होंने दिन में कॉफी बनाने और रात में फूड डिलीवरी का काम किया, ताकि अपने सपनों को जिंदा रख सकें। बाद में उन्होंने संयुक्त रक्षा सेवा (CDS) परीक्षा पास की और सेना में अधिकारी बने।
महिला सशक्तिकरण की सशक्त मिसाल
सोनी बिष्ट जैसी महिलाएं न सिर्फ खुद के लिए एक नया रास्ता बनाती हैं, बल्कि समाज में अन्य महिलाओं को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं। उनका सफर यह संदेश देता है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी मुश्किल आपके सपनों के आड़े नहीं आ सकती।
सोनी बिष्ट और वेद विजय नियोग जैसे युवा भारतीय सेना में शामिल होकर यह साबित कर रहे हैं कि संघर्ष के बिना सफलता अधूरी है, लेकिन हौसले और मेहनत से हर मंज़िल हासिल की जा सकती है।

VIKAS TRIPATHI
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