Tuesday, July 1, 2025
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DA विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती: बंगाल सरकार को कर्मचारियों को 25% महंगाई भत्ता देने का आदेश, 3 महीने की समयसीमा

नई दिल्ली / कोलकाता — पश्चिम बंगाल के लाखों सरकारी कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार को तीन महीनों के भीतर 25% महंगाई भत्ता (Dearness Allowance – DA) देने का निर्देश दिया है। यह आदेश उस याचिका पर आया है जिसमें राज्य सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट के 2022 के फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें केंद्र के समान दर पर डीए देने को कहा गया था।

अदालत की सख्ती और अंतरिम आदेश

जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए राज्य सरकार से कहा कि वह कर्मचारियों को वर्तमान 18% डीए से बढ़ाकर कम से कम 25% डीए भुगतान सुनिश्चित करे। इस आदेश को लागू करने के लिए तीन महीने की समयसीमा तय की गई है। मामले की अगली सुनवाई अगस्त 2025 में होगी।

कलकत्ता हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

डीए विवाद की शुरुआत तब हुई जब राज्य सरकार के कुछ कर्मचारियों ने कलकत्ता हाईकोर्ट का रुख किया और केंद्र के बराबर डीए की मांग की। मई 2022 में हाईकोर्ट ने कर्मचारियों के पक्ष में फैसला देते हुए केंद्र सरकार के समान डीए दरों को लागू करने का निर्देश दिया था।

हालांकि, राज्य सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में नवंबर 2022 में चुनौती दी थी। इसके बाद राज्य ने कुछ बार डीए बढ़ाया, लेकिन वह केंद्रीय स्तर से मेल नहीं खा सका। वर्तमान में केंद्र सरकार 55% डीए दे रही है, जबकि बंगाल सरकार के कर्मचारियों को सिर्फ 18% डीए मिल रहा है, जिससे करीब 37% का अंतर बना हुआ है।

कर्मचारियों में असंतोष, 10 लाख से अधिक प्रभावित

राज्य सरकार के मौजूदा फैसलों से लगभग 10 लाख सरकारी कर्मचारी और पेंशनभोगी प्रभावित हो रहे हैं। 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी 4% की वृद्धि के बाद डीए 18% हो गया है, लेकिन यह अब भी केंद्र सरकार की तुलना में काफी कम है। इससे कर्मचारियों में गहरा असंतोष है।

महंगाई भत्ता कर्मचारियों और पेंशनर्स को मुद्रास्फीति और जीवनयापन की लागत से राहत देने के लिए दिया जाता है। यह भत्ता मूल वेतन या पेंशन के प्रतिशत के रूप में दिया जाता है और समय-समय पर इसमें संशोधन किया जाता है।

क्या कहती है अदालत की मंशा?

सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश न सिर्फ कर्मचारियों की लंबे समय से जारी मांग को वैधता देता है, बल्कि राज्य सरकार की जिम्मेदारियों को भी रेखांकित करता है। यह फैसला आने वाले दिनों में अन्य राज्यों के कर्मचारियों के लिए भी नजीर बन सकता है।

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VIKAS TRIPATHI
VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
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