
असदुद्दीन ओवैसी का संसद में “फिलिस्तीन की जय” बोलना राजनीतिक और कानूनी विवाद का मुद्दा बन गया है। 25 जून को 18वीं लोकसभा के पहले सत्र के दूसरे दिन, जब उन्होंने संसद सदस्यता की शपथ लेते हुए यह नारा लगाया, तब से यह मामला तेजी से तूल पकड़ रहा है।
मामले की मुख्य बातें:
- घटना का समय और स्थान: यह घटना 25 जून को भारतीय संसद के अंदर घटी थी।
- ओवैसी का बयान: ओवैसी ने शपथ के दौरान “फिलिस्तीन की जय” बोला और कहा कि वे हाशिए पर पड़े लोगों के मुद्दे उठाते रहेंगे।
- विपक्षी प्रतिक्रिया: विपक्षी दल, खासकर बीजेपी, ने ओवैसी से माफी मांगने की मांग की। एडवोकेट विनीत जिंदल और सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन ने राष्ट्रपति से ओवैसी की सदस्यता रद्द करने की मांग की है।
- कानूनी विवाद: अनुच्छेद 102 के तहत ओवैसी की संसद सदस्यता रद्द करने की मांग की गई है। अनुच्छेद 102 कहता है कि किसी और देश के प्रति निष्ठा जताने पर भी सदस्यता जा सकती है।
- सरकार का बयान: संसदीय मामलों के मंत्री किरन रिजिजू ने कहा कि शपथ के दौरान किसी सदस्य को दूसरे देश की बात करनी चाहिए या नहीं, इसपर नियम चेक करने होंगे।
अनुच्छेद 102 के प्रावधान:
- लाभ का पद धारण करना: संसद में बताए गए पद के अलावा, भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन लाभ का कोई पद लेना।
- मानसिक स्थिति खराब होना: अगर कोर्ट इसे मान ले।
- भारी कर्ज: अगर व्यक्ति भारी कर्ज में हो और अदालत ने भी इसे मान लिया हो।
- विदेशी नागरिकता: अगर व्यक्ति भारत का नागरिक न हो या उसने अस्थाई तौर पर विदेशी देश की नागरिकता ले ली हो।
- अन्य देश के प्रति निष्ठा जताना: किसी और देश के प्रति निष्ठा जताने पर भी सदस्यता जा सकती है
इस विवाद ने राजनीतिक और कानूनी मोर्चे पर बहस को जन्म दिया है। ओवैसी के बयान को लेकर विभिन्न पक्ष अपनी-अपनी दलीलें पेश कर रहे हैं, और यह देखना बाकी है कि इस मुद्दे का क्या नतीजा निकलता है।

VIKAS TRIPATHI
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