Tuesday, July 1, 2025
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महाकुंभ 2025: योगमाता की उपस्थिति से विश्व शांति की प्रार्थना होगी प्रमुख आकर्षण

Yogmata Keiko Aikawa Japanese Mahamandaleshwar:

विदेशी संतों का महाकुंभ में आगमन

महाकुंभ 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं, जिसमें न केवल देश बल्कि विदेश से भी साधु-संतों का आगमन हो रहा है। यह पवित्र आयोजन 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलेगा। खास बात यह है कि जापान की प्रसिद्ध योगमाता – महामंडलेश्वर कीको आइकावा उर्फ कैला माता भी इस कुंभ में शिरकत करेंगी। उनके नेतृत्व में विश्व शांति के लिए विशेष प्रार्थना का आयोजन होगा।

विदेशी संतों के लिए विशेष व्यवस्था
महाकुंभ में श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े के दिवंगत योगी महामंडलेश्वर स्वामी सोमनाथ गिरि उर्फ पायलट बाबा के शिविर में विदेशी संतों के लिए संगम लोअर सेक्टर-18 में शाही लकड़ी के कॉटेज बनाए जा रहे हैं। इन्हीं में योगमाता कैला माता भी ठहरेंगी।

कौन हैं योगमाता?
योगमाता, जिन्हें दुनिया महामंडलेश्वर कीको आइकावा के नाम से जानती है, जापान के यामानाशी में जन्मीं एक अद्वितीय योगिनी हैं। उनका शुरुआती जीवन योग और ध्यान की साधना में बीता। 38 वर्ष की उम्र में वे हिमालय के प्रसिद्ध योगी पायलट बाबा से मिलीं, जिनकी शिक्षाओं ने उनके जीवन को नई दिशा दी।

योग और ध्यान की खोज से समाधि तक का सफर
1945 में जन्मी कीको आइकावा ने किशोरावस्था में आध्यात्मिकता की ओर रुझान किया। 20 वर्ष की उम्र तक वे जापान की प्रमुख योग प्रशिक्षक बन चुकी थीं। 1972 में उन्होंने ऐकावा कीको होलिस्टिक योग और स्वास्थ्य संघ की स्थापना की। उनकी योग नृत्य और प्राणादि योग जैसी विधियों ने हजारों अनुयायियों को आकर्षित किया।

भारत आगमन के बाद, पायलट बाबा ने उन्हें संत हरि बाबाजी के मार्गदर्शन में हिमालय की कठोर तपस्वी साधना में प्रशिक्षित किया। गहन साधना के बाद उन्होंने समाधि की सर्वोच्च अवस्था प्राप्त की।

महामंडलेश्वर बनने का गौरव
फरवरी 1991 में उनकी पहली सार्वजनिक समाधि ने भारत में लोगों को चकित कर दिया। अगले 16 वर्षों में उन्होंने 18 बार समाधि लेकर लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित किया। 2007 में उन्हें जूना अखाड़े से महामंडलेश्वर की उपाधि मिली, और वे यह सम्मान पाने वाली पहली महिला बनीं।

महाकुंभ 2025 में योगमाता की विशेष भूमिका
इस बार के कुंभ मेले में योगमाता की उपस्थिति न केवल महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनेगी, बल्कि विश्व शांति के संदेश को भी बल देगी। उनकी समाधि और प्रार्थना का आयोजन मेले के मुख्य आकर्षणों में से एक होगा।

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