Tuesday, July 1, 2025
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वर्ल्ड बैंक से पाकिस्तान को बड़ा झटका: सिंधु जल संधि पर हस्तक्षेप से किया इनकार, कहा– ‘हम भारत को नहीं रोक सकते’

भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित किए जाने के बाद पाकिस्तान को उम्मीद थी कि वर्ल्ड बैंक इस मुद्दे में हस्तक्षेप करेगा। लेकिन वर्ल्ड बैंक ने पाकिस्तान की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए साफ कह दिया है कि उसकी भूमिका केवल ‘फेसिलिटेटर’ (सुविधा प्रदाता) की है, न कि मध्यस्थ या निर्णायक की।

वर्ल्ड बैंक अध्यक्ष अजय बांगा का बयान

वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष अजय बांगा ने स्पष्ट किया, “यह भारत और पाकिस्तान के बीच का आपसी मामला है। वर्ल्ड बैंक इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता। हम भारत को नहीं रोक सकते।”
यह बयान पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, जो सिंधु जल संधि के तहत अंतरराष्ट्रीय समर्थन की उम्मीद कर रहा था।

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत का कड़ा कदम

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत ने दशकों पुरानी 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया था। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकी नेटवर्क को ज़िम्मेदार ठहराया और सिंधु नदी प्रणाली पर नियंत्रण के अपने अधिकारों का प्रयोग करना शुरू कर दिया।

चिनाब नदी का पानी रोका गया

भारत ने बगलिहार डैम के गेट बंद कर चिनाब नदी का बहाव लगभग 90% तक रोक दिया है। इसके बाद सिंधु और झेलम नदियों का पानी रोकने की भी रणनीति बनाई जा रही है। इससे पाकिस्तान के पंजाब और सिंध क्षेत्रों में गंभीर जल संकट उत्पन्न हो सकता है।

पाकिस्तान की जीवनरेखा है सिंधु नदी प्रणाली

सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियाँ—चिनाब, झेलम, रावी, ब्यास और सतलुज—पाकिस्तान की लगभग 21 करोड़ आबादी के लिए जल जीवनरेखा हैं। इन नदियों से पाकिस्तान की 90% कृषि भूमि की सिंचाई होती है। सिंधु जल समझौते को अब तक पाकिस्तान के लिए ‘सुरक्षा कवच’ की तरह देखा जाता रहा है।

नदी प्रणाली का विभाजन: भारत का अधिकार स्पष्ट

1960 की संधि के तहत रावी, ब्यास और सतलुज जैसी पूर्वी नदियों का जल भारत को और सिंधु, झेलम, चिनाब जैसी पश्चिमी नदियों का जल पाकिस्तान को उपयोग के लिए आवंटित किया गया था। लेकिन भारत को पश्चिमी नदियों पर भी सीमित नियंत्रण और जल संरचनाएं विकसित करने की अनुमति दी गई थी।

भारत ने वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में बनी सिंधु जल संधि की सीमाओं में रहते हुए सख्त रुख अपनाया है और पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया है कि आतंकवाद की कीमत चुकानी पड़ेगी। वर्ल्ड बैंक का स्पष्ट इनकार दर्शाता है कि भारत के कदम अंतरराष्ट्रीय नियमों के दायरे में हैं।

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