
भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकियों के ठिकानों पर की गई बड़ी सैन्य कार्रवाई के बाद सीमावर्ती क्षेत्रों में हालात तनावपूर्ण हो गए हैं। पाकिस्तान की तरफ से लगातार आ रही धमकियों और बयानों के बीच जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने एक एहतियाती कदम उठाते हुए सीमावर्ती जिलों के अस्पतालों की छतों पर रेड क्रॉस के निशान बनाने शुरू कर दिए हैं। इन प्रतीकों का अंतरराष्ट्रीय महत्व क्या है? इसे समझने के लिए हमें जिनेवा कन्वेंशन के प्रावधानों पर नजर डालनी होगी।
क्या है रेड क्रॉस का संकेत और इसका उद्देश्य?
रेड क्रॉस का निशान शांति और तटस्थता का प्रतीक माना जाता है। इसे किसी भी सैन्य संघर्ष के दौरान अस्पतालों, चिकित्सा केंद्रों और मेडिकल स्टाफ को सुरक्षा देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस चिह्न का उद्देश्य स्पष्ट संकेत देना होता है कि यह स्थान मानवता के लिए समर्पित है और इसे किसी भी प्रकार के सैन्य हमले से अलग रखा जाए।
जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा, बारामूला, श्रीनगर, अनंतनाग सहित अन्य सीमावर्ती जिलों में मौजूद अस्पतालों की छतों पर यह चिह्न बनाया गया है ताकि यदि कोई हमला होता भी है तो इन संस्थानों को जानबूझकर निशाना न बनाया जाए।
जिनेवा कन्वेंशन क्या कहता है?
जिनेवा कन्वेंशन एक अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून है, जिसे युद्ध के समय नागरिकों, घायलों, युद्धबंदियों और चिकित्सा सुविधाओं की सुरक्षा के लिए बनाया गया है। इस समझौते के तहत यह स्पष्ट रूप से तय किया गया है कि किसी भी सशस्त्र संघर्ष के दौरान अस्पतालों, एम्बुलेंस और मेडिकल स्टाफ को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा, बशर्ते वे केवल मानवीय कार्यों में संलग्न हों।
रेड क्रॉस का चिन्ह जिनेवा कन्वेंशन 1949 के तहत मान्यता प्राप्त है और इसका उल्लंघन युद्ध अपराध की श्रेणी में आता है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान का रुख
6-7 मई की रात भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पीओके में लश्कर, जैश और हिजबुल जैसे आतंकी संगठनों के कम से कम 9 ठिकानों को निशाना बनाते हुए बड़ी कार्रवाई की। इस ऑपरेशन को “सिंदूर” नाम दिया गया, जो उन महिलाओं की पीड़ा और सम्मान का प्रतीक है जिन्होंने पहलगाम आतंकी हमले में अपने पति खो दिए थे।
इसके बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने दो बार राष्ट्र को संबोधित करते हुए भारत को परिणाम भुगतने की धमकी दी। इसके तुरंत बाद एलओसी पर सीजफायर उल्लंघन और बमबारी की घटनाएं बढ़ गईं। इन हालातों को देखते हुए भारत ने सीमावर्ती इलाकों में सतर्कता बढ़ा दी है।
रेड क्रॉस के माध्यम से शांति का संदेश
रेड क्रॉस के चिन्हों के माध्यम से भारत यह संदेश दे रहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का पालन करता है और युद्ध या संघर्ष की स्थिति में भी चिकित्सा सेवाओं और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहता है। यह कदम भारत की नैतिक और कानूनी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।
क्या हुआ था पहलगाम में?
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान गई थी। आतंकियों ने सुनियोजित तरीके से पुरुषों को उनके परिवारों के सामने मार डाला। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान से संचालित आतंकी नेटवर्क को जिम्मेदार ठहराया, वहीं पाकिस्तान ने किसी भी भूमिका से इनकार किया और अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की। भारत का दावा है कि उसके पास इस हमले की पाकिस्तान में योजना बनने और वहीं से संचालन के पुख्ता सबूत हैं।
भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद उठाए गए कदम सिर्फ सैन्य रणनीति नहीं, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण का भी प्रमाण हैं। रेड क्रॉस के निशान अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह दिखाते हैं कि भारत युद्ध की परिस्थिति में भी मानवीय मूल्यों को सर्वोपरि रखता है।