
नई दिल्ली – नकद लेन-देन पर सख्त रुख अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि 2 लाख रुपये या उससे अधिक की नकद राशि का भुगतान यदि किसी लेन-देन में किया गया हो, तो यह आयकर अधिनियम की धारा 269ST का सीधा उल्लंघन माना जाएगा। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि इस प्रकार के लेन-देन से जुड़े मामलों की जानकारी संबंधित क्षेत्र के आयकर प्राधिकरण को दी जानी चाहिए, ताकि कानून के अनुसार उचित कार्रवाई की जा सके।
यह टिप्पणी जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने एक संपत्ति विवाद से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान दी, जिसमें दावा किया गया था कि 10 अप्रैल 2018 को एक संपत्ति खरीदने के लिए 75 लाख रुपये नकद एडवांस के रूप में दिए गए थे।
“यह सिर्फ संदेह नहीं, कानून का उल्लंघन है” – सुप्रीम कोर्ट
शीर्ष अदालत ने सख्त लहजे में कहा,
“यह मामला केवल लेन-देन के बारे में संदेह नहीं पैदा करता, बल्कि कानून के स्पष्ट उल्लंघन की ओर भी इशारा करता है।”
कोर्ट ने इस बात पर गहरी चिंता जताई कि वित्त अधिनियम 2017, जिसके तहत 1 अप्रैल 2017 से नकद लेन-देन पर 2 लाख रुपये की सीमा लागू की गई थी, उसका प्रभावी क्रियान्वयन अब तक नहीं हो पाया है।
कोर्ट का निर्देश: कोर्ट और सब-रजिस्टार भेजें जानकारी आयकर विभाग को
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए कहा:
- जब भी किसी याचिका या दस्तावेज़ में ऐसा उल्लेख हो कि किसी लेन-देन में 2 लाख रुपये या उससे अधिक की नकद राशि दी गई है,
- या जब किसी अचल संपत्ति की रजिस्ट्री के समय ऐसा कोई दावा सामने आता है,
- तो कोर्ट और सब-रजिस्टार को यह सूचना तत्काल क्षेत्रीय आयकर अधिकारी को भेजनी चाहिए,
- ताकि आयकर विभाग धारा 269ST और धारा 271DA के तहत उचित दंडात्मक कार्रवाई कर सके।
“कानून का ज्ञान न होना बहाना नहीं हो सकता” – न्यायालय
कोर्ट ने कहा कि:
“यह स्थापित तथ्य है कि कानून की अज्ञानता क्षम्य नहीं है। वित्त अधिनियम में किए गए संशोधनों का उद्देश्य डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना और काले धन को रोकना है। फिर भी, ऐसे लेन-देन बार-बार सामने आते हैं, जिनकी कोई रिपोर्टिंग नहीं होती।”
क्या कहता है कानून?
- धारा 269ST (Income Tax Act): एक ही व्यक्ति को एक दिन में 2 लाख रुपये से अधिक नकद प्राप्त करना प्रतिबंधित है।
- धारा 271DA: यदि यह नियम तोड़ा जाता है, तो उसी राशि के बराबर जुर्माना लगाया जा सकता है।
कोर्ट की टिप्पणी: डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए अहम कदम
कोर्ट ने सरकार के उस दृष्टिकोण की सराहना की, जिसके तहत डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए यह सीमा निर्धारित की गई थी।
“यह कानून काली अर्थव्यवस्था को खत्म करने और भारत को डिजिटल लेन-देन की ओर अग्रसर करने का प्रयास है,” अदालत ने कहा।
अब नजरें कानून के पालन पर
सुप्रीम कोर्ट के इस सख्त रुख के बाद अब यह साफ हो गया है कि नकद लेन-देन के मामलों को हल्के में नहीं लिया जाएगा। न केवल अदालतें, बल्कि रजिस्ट्रेशन ऑफिस जैसे संस्थानों को भी सक्रिय भूमिका निभानी होगी, जिससे आयकर कानूनों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके।

VIKAS TRIPATHI
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