
Winter Session: मंगलवार (3 दिसंबर, 2024) को लोकसभा में शून्यकाल शुरू होने से पहले विभिन्न मंत्रियों की ओर से दस्तावेज़ पेश करने के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अप्रसन्नता जाहिर की। जब संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने संबंधित दस्तावेज़ प्रस्तुत किए, तो अध्यक्ष ने कहा कि जिन मंत्रियों के नाम कार्यसूची में हैं, उन्हें सदन में उपस्थित रहना चाहिए।
क्या है पूरा मामला?
दोपहर 12 बजे प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद कार्यसूची में अंकित कागजात सदन में पेश किए जाते हैं। आमतौर पर, संबंधित मंत्री दस्तावेज़ प्रस्तुत करते हैं, लेकिन उनकी अनुपस्थिति में यह कार्य संसदीय कार्य राज्य मंत्री करते हैं।
इस दौरान वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद की अनुपस्थिति में मेघवाल ने दस्तावेज़ पेश किए, जबकि उद्योग मंत्री पीयूष गोयल सदन में मौजूद थे। इस पर स्पीकर बिरला ने नाराज़गी जताते हुए कहा:
“जब पीयूष गोयल सदन में मौजूद हैं, तो उन्हें ही दस्तावेज़ प्रस्तुत करने के लिए कहा जाना चाहिए था।”
स्पीकर ने जताई कड़ी आपत्ति
इसके बाद, जब गृह राज्य मंत्री बंडी संजय कुमार को दस्तावेज़ पेश करने में परेशानी हुई और अन्य मंत्री उन्हें निर्देश दे रहे थे, तो स्पीकर ने टिप्पणी की:
“आप एक-दूसरे को समझाना बंद करें।”
स्पीकर ने अर्जुन राम मेघवाल से ही दस्तावेज़ पेश करवाए। जब मेघवाल ने ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान की ओर से भी दस्तावेज़ पेश किए, तो बिरला ने फिर नाराज़गी जाहिर की और कहा:
“संसदीय कार्य मंत्री जी, यह सुनिश्चित करें कि जिन मंत्रियों का नाम कार्यसूची में है, वे स्वयं उपस्थित रहें। नहीं तो आप ही सारे जवाब दे दिया करें।”
सत्र से पहले विपक्ष का प्रदर्शन
संसद के शीतकालीन सत्र के छठे दिन सदन शुरू होने से पहले विपक्षी दलों ने अडाणी विवाद और संभल हिंसा को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा भी शामिल हुए, लेकिन समाजवादी पार्टी और टीएमसी के नेता प्रदर्शन में शामिल नहीं हुए।
अखिलेश यादव ने संभल हिंसा पर टिप्पणी करते हुए कहा:
“यह एक सोची-समझी साजिश है, क्योंकि उत्तर प्रदेश में चुनाव नजदीक हैं।”