Prashant Kishor gets bail but not ready to accept: जन सुराज पार्टी के अध्यक्ष प्रशांत किशोर (पीके) ने बीपीएससी परीक्षा पेपर लीक विवाद के खिलाफ पटना के गांधी मैदान में चार दिनों से आमरण अनशन किया। इस दौरान पुलिस ने उन्हें प्रतिबंधित क्षेत्र में धरना देने के आरोप में गिरफ्तार किया। पटना सिविल कोर्ट ने उन्हें ₹25,000 के निजी मुचलके पर सशर्त जमानत दी, जिसे पीके ने ठुकरा दिया।
जमानत की शर्तों को मानने से इनकार
एसडीजेएम आरती उपाध्याय की अदालत ने पीके को जमानत देते हुए शर्त रखी कि वे भविष्य में ऐसा कोई काम नहीं करेंगे, जिससे आम जनता को परेशानी हो। प्रशांत किशोर ने इस शर्त को मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा:
“कंडीशनल बेल का मतलब होगा कि मैंने अपराध किया है। विरोध करना मेरा मौलिक अधिकार है। मैं ऐसी शर्तों को स्वीकार नहीं कर सकता।”
उनके वकील शिवानंद गिरी ने कोर्ट से शर्त हटाने का अनुरोध किया, जिसे खारिज कर दिया गया। बेल बॉन्ड भरने से इनकार करने पर प्रशांत किशोर को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
गांधी मैदान में अनशन और गिरफ्तारी
बीपीएससी परीक्षा रद्द कराने की मांग को लेकर पीके गांधी मैदान में अनशन पर बैठे थे। पटना जिलाधिकारी डॉक्टर चंद्रशेखर सिंह के अनुसार, गांधी मैदान एक प्रतिबंधित क्षेत्र है, जहां धरना-प्रदर्शन की अनुमति नहीं है। पुलिस ने पीके और उनके समर्थकों से बार-बार अनुरोध किया कि वे स्थान खाली करें, लेकिन उनके इनकार के बाद पुलिस ने कार्रवाई की।
गिरफ्तारी के दौरान पीके के साथ 43 लोगों को हिरासत में लिया गया और 15 वाहन जब्त किए गए। प्रशासन ने बताया कि हिरासत में लिए गए अधिकांश लोग छात्र नहीं थे, हालांकि कुछ ने खुद को छात्र बताया।
प्रशांत किशोर का अनशन जेल में भी जारी
पीके ने जेल में भी अपना अनशन जारी रखने की घोषणा की है। उन्होंने स्पष्ट किया कि बीपीएससी परीक्षा रद्द कराने और सुधारों की मांग से वे पीछे नहीं हटेंगे।
प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
उनकी गिरफ्तारी ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। समर्थकों ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों की लड़ाई बताया, जबकि विरोधियों ने इसे प्रशासन के नियमों का उल्लंघन करार दिया।
बीपीएससी विवाद पर सरकार का रुख
बीपीएससी पेपर लीक विवाद पर सरकार की तरफ से अब तक कोई ठोस बयान नहीं आया है। हालांकि, इस घटना के बाद परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुधार की मांग ने जोर पकड़ लिया है।
क्या आगे होगा?
प्रशांत किशोर और उनकी टीम ने साफ किया है कि वे बीपीएससी में सुधार की अपनी मांग को लेकर संघर्ष जारी रखेंगे। जेल से बाहर आने के बाद वे इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने की योजना बना रहे हैं।
VIKAS TRIPATHI
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