
नई दिल्ली
मोदी सरकार ने देश की भावी जनगणना में जातिगत आधार पर गणना कराने का बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है। यह कदम सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि गहराई से राजनीतिक, सामाजिक और वैचारिक हलचल पैदा करने वाला है।
इस फैसले ने सत्ता और विपक्ष, दोनों खेमों में नई जान फूंक दी है—जहां एनडीए इसे गरीबों और पिछड़ों की चिंता करने वाली सरकार की प्रतिबद्धता बता रही है, वहीं विपक्ष इसे अपनी विचारधारा की जीत और दशकों पुराने संघर्ष का नतीजा बता रहा है।
अमित शाह बोले – हर वर्ग को अधिकार दिलाने का संकल्प
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने फैसले की घोषणा करते हुए कहा:
“सामाजिक न्याय के लिए संकल्पित मोदी सरकार ने आज ऐतिहासिक फैसला लिया है। आगामी जनगणना में जातिगत गणना को शामिल कर हम समावेशी विकास, वंचित वर्गों की प्रगति और उनके अधिकार सुनिश्चित करने की दिशा में आगे बढ़े हैं।”
शाह ने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि उसने दशकों तक सत्ता में रहते हुए जातिगत जनगणना का न सिर्फ विरोध किया, बल्कि जब मौका मिला तब भी इसे सिर्फ कागज़ी स्तर पर ही सीमित रखा।
लालू यादव बोले – जो हम 30 साल पहले सोचते हैं, ये अब अपनाते हैं
लालू प्रसाद यादव, जो इस मांग के सबसे पुराने चेहरों में शामिल रहे हैं, ने तीखी प्रतिक्रिया दी:
“1996-97 में हमारी संयुक्त मोर्चा सरकार ने 2001 की जनगणना में जातिगत गणना शामिल करने का फैसला किया था, जिसे वाजपेयी सरकार ने रद्द कर दिया। जो समाजवादी 30 साल पहले जातिगत जनगणना, आरक्षण, बंधुत्व और धर्मनिरपेक्षता की बात करते थे, अब संघी उसी एजेंडे पर नाचने को मजबूर हैं।”
लालू ने चेतावनी दी—अभी बहुत कुछ बाकी है।
तेजस्वी यादव – अब अगली लड़ाई है विधानसभा में पिछड़ों को आरक्षण दिलाना
तेजस्वी यादव ने इसे अपने पिता और समाजवादियों की जीत बताते हुए कहा:
“पीएम ने जब हमारी मांग मानी नहीं थी, तब हम संसद में लड़ते रहे। आज वो खुद हमारे एजेंडे पर काम करने को मजबूर हैं। अगली लड़ाई ये है कि जैसे दलितों और आदिवासियों के लिए सीटें आरक्षित हैं, वैसे ही पिछड़ों और अतिपिछड़ों के लिए भी हों।”
अखिलेश यादव – ये पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की जीत है, भाजपा की हार की शुरुआत
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा:
“90% पीडीए की एकजुटता की ये 100% जीत है। सरकार पर हमारे दबाव ने उन्हें मजबूर किया। ये लोकतंत्र में सकारात्मक अधिकार आंदोलन की शुरुआत है और भाजपा की नकारात्मक राजनीति का अंत।”
उन्होंने सरकार को चुनावी धांधली से जातिगत जनगणना को अलग रखने की चेतावनी भी दी।
नीतीश कुमार – हमारी पुरानी मांग अब पूरी हुई, पीएम का धन्यवाद
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा:
“जातिगत जनगणना की मांग हमारी पुरानी है। इससे सामाजिक योजनाओं को दिशा मिलेगी और सभी वर्गों के उत्थान में मदद होगी। प्रधानमंत्री मोदी को इसके लिए धन्यवाद।”
चिराग पासवान – देश की भावनाओं को सरकार ने समझा
चिराग पासवान ने इसे गरीबों के हित में बड़ा फैसला बताते हुए कहा:
“प्रधानमंत्री ने देश की जनता की भावना को समझा और पूरा किया। ये ऐतिहासिक है।”
प्रशांत किशोर – गणना से नहीं, उसके बाद के फैसलों से बदलाव आएगा
राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा:
“सिर्फ गणना से कुछ नहीं होगा। असली सुधार तब होगा जब उस डेटा के आधार पर नीतियां बनें और लागू हों।”
AIMIM – मुस्लिम पिछड़ों को भी मिलेगा हक़
AIMIM प्रवक्ता आदिल हसन ने कहा:
“हमने पहले ही कहा था कि 50% आरक्षण की सीमा बढ़नी चाहिए। जातिगत गणना से ओबीसी और मुस्लिम समाज के अति पिछड़ों को न्याय मिलेगा।”
उपेन्द्र कुशवाहा – यह मील का पत्थर साबित होगा
राष्ट्रीय लोक मोर्चा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने कहा:
“प्रधानमंत्री का ये फैसला देश के वंचितों और शोषितों के लिए मील का पत्थर साबित होगा।”
कांग्रेस – यह हमारी वैचारिक जीत, लेकिन देर से आया फैसला
कांग्रेस ने कहा कि जातिगत जनगणना की मांग उनकी विचारधारा का हिस्सा रही है।
“मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी लंबे समय से सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं। हम पहले ही कह चुके थे कि मोदी सरकार को ये करना ही होगा।”
निष्कर्ष: आंकड़ों की गिनती या सामाजिक समीकरणों की सर्जरी?
मोदी सरकार का यह फैसला न सिर्फ जनगणना का तरीका बदलेगा, बल्कि भारतीय राजनीति के सामाजिक समीकरणों को भी हिला सकता है। यह उन विचारों की वापसी है जो मंडल युग में पनपे थे, और जो अब 2024–2025 की राजनीति को परिभाषित कर सकते हैं।
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VIKAS TRIPATHI
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