
PM Modi security lapse case new section FIR convoy stopped Punjab: नई दिल्ली, 15 जनवरी 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा चूक के मामले में पंजाब पुलिस ने जांच को नया मोड़ देते हुए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 307 (हत्या का प्रयास) को शामिल कर दिया है। यह घटना 5 जनवरी 2022 को पंजाब के फिरोजपुर जिले में हुई थी, जब प्रदर्शनकारियों के कारण प्रधानमंत्री का काफिला 20 मिनट तक असुरक्षित क्षेत्र में फंसा रहा। इस मामले ने राष्ट्रीय सुरक्षा और राजनीतिक गलियारों में गहरा विवाद खड़ा कर दिया था।
क्या है पूरा मामला?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 जनवरी 2022 को फिरोजपुर में एक जनसभा को संबोधित करने जा रहे थे। उनकी यात्रा के दौरान हुसैनीवाला बॉर्डर से लगभग 30 किलोमीटर दूर प्रदर्शनकारियों ने सड़क अवरुद्ध कर दी। इसके कारण प्रधानमंत्री का काफिला बीच सड़क पर करीब 20 मिनट तक रुका रहा। इस दौरान उनकी सुरक्षा में गंभीर चूक की बात सामने आई।
सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन होने के बाद प्रधानमंत्री को अपना कार्यक्रम रद्द कर दिल्ली लौटना पड़ा। इस घटना के लिए पंजाब प्रशासन और पुलिस पर लापरवाही के आरोप लगे थे। केंद्र सरकार ने इसे प्रधानमंत्री की सुरक्षा से खिलवाड़ करार दिया था और जांच के आदेश दिए थे।
आईपीसी धारा 307 का मामला क्यों जुड़ा?
नवीनतम अपडेट के अनुसार, जिला अदालत में एक आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान यह खुलासा हुआ कि इस मामले में आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास) जोड़ी गई है। अदालत ने आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया। पंजाब पुलिस का कहना है कि जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर यह फैसला लिया गया है।
इस हाई-प्रोफाइल मामले में अब तक कुल 24 आरोपियों को नामजद किया गया है। पुलिस ने दावा किया है कि इस नई धारा को जोड़ने का उद्देश्य मामले की गंभीरता को रेखांकित करना है।
किसानों का विरोध
इस घटनाक्रम के बाद किसान संगठनों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। संगठनों का कहना है कि यदि किसी किसान को हत्या के प्रयास की धारा के तहत गिरफ्तार किया गया, तो वे व्यापक विरोध प्रदर्शन करेंगे। किसान नेताओं ने आरोप लगाया है कि यह उनके खिलाफ एक षड्यंत्र है और इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है।
राजनीतिक तनाव और बढ़ा
इस घटना ने पंजाब में राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। भाजपा ने इसे प्रधानमंत्री की सुरक्षा से खिलवाड़ बताते हुए कांग्रेस और पंजाब सरकार पर निशाना साधा है। भाजपा का कहना है कि यह मामला केवल सुरक्षा चूक का नहीं है, बल्कि यह प्रधानमंत्री की जान को खतरे में डालने की कोशिश थी।
वहीं, दूसरी ओर, किसान संगठनों और विपक्षी दलों का कहना है कि केंद्र सरकार इस मुद्दे का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ उठाने के लिए कर रही है।
सुरक्षा चूक पर केंद्रीय और राज्य सरकार की प्रतिक्रियाएं
केंद्र सरकार ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसके बाद जांच के आदेश दिए गए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए एक स्वतंत्र जांच समिति का गठन किया। समिति ने अपनी रिपोर्ट में सुरक्षा चूक की पुष्टि की थी।
पंजाब सरकार ने भी मामले की जांच के लिए एक एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) का गठन किया था। हालांकि, मामले में आईपीसी की धारा 307 जोड़ने के बाद राज्य सरकार पर राजनीतिक दबाव और बढ़ गया है।
अमृत सिद्धि योग का निर्माण और घटनाक्रम का असर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा चूक का यह मामला न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह आने वाले चुनावों में भी अहम मुद्दा बन सकता है। पंजाब पुलिस द्वारा की गई इस नई कार्रवाई ने राजनीतिक दलों और किसान संगठनों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है।
अब देखना यह होगा कि पंजाब सरकार और पुलिस इस मामले को कैसे संभालती है और किसान संगठनों के विरोध के बीच क्या कार्रवाई की जाती है।