गौतम बुद्ध नगर — जिलाधिकारी मेधा रूपम ने गुरुवार को विकास भवन में हुई समीक्षा बैठक में प्रशासन की कार्यप्रणाली बदलने वाला ऐतिहासिक निर्णय लिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जनता की शिकायतों का समय पर और गुणवत्तापूर्ण निस्तारण हर विभाग की जिम्मेदारी है — और यदि कोई विभाग आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायत निवारण की रैंकिंग में टॉप-10 में स्थान बनाने में असफल रहता है तो उस विभाग के जुड़े अधिकारियों का एक दिन का वेतन काटा जाएगा। यह आदेश न सिर्फ अफसरों के लिए चेतावनी है बल्कि जनता के लिए भी उम्मीद की किरण है कि अब समस्याओं का समाधान टालमटोल और लापरवाही का शिकार नहीं होगा।
आदेश का सार
डीएम ने कहा कि प्रशासन की प्राथमिकता सीधे तौर पर जनता को राहत पहुंचाना है। उन्होंने अधिकारियों को जमीन पर सक्रिय रहने, शिकायतों का शीघ्र निपटान करने और कामकाजी लक्ष्यों को समयबद्ध पूरा करने के निर्देश दिए। जिन विभागों की आईजीआरएस रैंकिंग कमजोर रही, उनके अधिकारियों पर वित्तीय अनुशासन लागू किया जाएगा ताकि जवाबदेही की भावना मजबूती से कायम हो।
“जनता की शिकायतें निपटाना प्रशासन की पहली जिम्मेदारी है। यदि कोई विभाग इसमें पिछड़ता है तो उसका एक दिन का वेतन काटकर यह संदेश दिया जाएगा कि अब लापरवाही महंगी पड़ेगी।”
राजस्व वसूली और शिकायत निपटान पर कड़ा रुख
बैठक का फोकस मुख्य रूप से राजस्व वसूली और आईजीआरएस पर लंबित शिकायतों के त्वरित निपटान पर था। जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि हर विभाग अपनी वसूली और निपटान लक्ष्य तय समय में पूरा करे। स्टांप, वाणिज्य कर, आबकारी, विद्युत, परिवहन और खनन जैसे विभागों को विशेष रूप से अपनी कार्ययोजना मजबूत करनी होगी।
परिवहन, वाणिज्य कर, खनन व आबकारी — हर जगह सख्ती
परिवहन: ओवरलोडिंग वाहनों के खिलाफ त्वरित और प्रभावी कार्रवाई अनिवार्य की गई — सड़क सुरक्षा और राजस्व दोनों के लिहाज से ओवरलोडिंग बर्दाश्त नहीं होगी।
वाणिज्य कर/जीएसटी: जीएसटी वसूली में कोई ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी; लगातार प्रवर्तन अभियान चलाकर व्यापारियों में नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा।
खनन: अवैध खनन और लापरवाही पर सख्त निगरानी तथा तेज प्रवर्तन कार्रवाई के निर्देश दिए गए।
आबकारी: शराब राजस्व की वसूली और अवैध बिक्री पर कड़ी निगरानी रखने को कहा गया।
आईजीआरएस — जनता की शिकायतों का सच्चा आईना
डीएम ने आईजीआरएस पोर्टल को जनता और प्रशासन के बीच सीधे जुड़ाव वाला उपकरण बताया। जिन मामलों में शिकायतें लंबित रहती हैं, वे प्रशासन की सुस्ती को दर्शाती हैं। इसलिए अब आईजीआरएस रैंकिंग को प्रदर्शन का प्रमुख मानदंड बनाया जा रहा है — इससे न सिर्फ जवाबदेही बढ़ेगी बल्कि जनता को भी अपने मुद्दों के त्वरित निपटान की उम्मीद रहेगी।
बैठक में उपस्थित वरिष्ठ अधिकारी
बैठक में जिले के कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल रहे और विभागवार रिपोर्ट पेश की गई। प्रमुख मौजूदगियाँ थीं:
मुख्य विकास अधिकारी — डॉ. शिवाकांत द्विवेदी
अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) — अतुल कुमार
अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) — मंगलेश दुबे
अपर जिलाधिकारी (न्यायिक) — भैरपाल सिंह
एसडीएम जेवर — अभय कुमार सिंह
इसके साथ ही अन्य संबंधित विभागीय अधिकारी भी उपस्थित रहे।
क्या बदलेगा — जनता के लिए उम्मीद, अफसरों के लिए जिम्मेदारी
यह निर्णय प्रशासनिक कार्यपद्धति को “परफ़ॉर्मेंस-बेस्ड” बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है। सरकार की प्राथमिकता जहां राजस्व वसूली और नियमों का पालन सुनिश्चित करना है, वहीं आम नागरिक को भी यह भरोसा मिलेगा कि उनकी शिकायतें अब नजरअंदाज नहीं की जाएँगी। अधिकारियों के लिए स्पष्ट संदेश है — कुर्सी पर बैठकर फाइलें खिसकाने का दौर समाप्त; जमीन पर आकर परिणाम बताइए, वरना वित्तीय अनुशासन की कीमत चुकानी होगी।