मैहर की प्रसिद्ध क्वांर नवरात्रि मेला व्यवस्था का हाल इस बार भी दिलेर साहब की दिलेरी के चलते चर्चा का विषय बना रहा। इससे पहले भी हमने बताया कि कैसे दिलेर साहब ने स्टे का हवाला देकर जनता और अधिकारियों को भ्रमित किया, उच्च न्यायालय के आदेश को दरकिनार किया, दान राशि में करोड़ों की हेराफेरी की, और नियमों का उल्लंघन करते हुए दुकान आबंटन व कर्मियों की नियुक्ति की गई। अब हम मेला व्यवस्था में किए गए भेदभाव और प्रशासनिक तानाशाही के नए पहलुओं पर चर्चा करेंगे।
फर्जी मेला समिति मीटिंग: सत्ता प्रदर्शन का एक मिशन
मेला व्यवस्था के लिए बुलाई गई समिति की मीटिंग पूरी तरह से फर्जी साबित हुई। पहले से ही दिलेर साहब द्वारा एजेंडा और कार्यवाही को रजिस्टर में दर्ज कर लिया गया था। मीटिंग में किसी भी स्थाई सदस्य ने हिस्सा नहीं लिया, यह मीटिंग केवल मैहर के प्रबुद्ध जनों को सत्ता का अहंकार दिखाने के लिए आयोजित की गई थी।
रोपवे संचालन में भ्रष्टाचार और वीआईपी की आड़
क्वांर नवरात्रि मेला के दौरान रोपवे का संचालन करीब 16 घंटे तक किया गया, जिसमें प्रतिदिन लगभग 19 लाख रुपये की टिकट राशि प्राप्त होनी चाहिए थी। लेकिन दिलेर साहब की मेहरबानी से रोपवे काउंटर का कोई हिसाब-किताब आज तक सार्वजनिक नहीं किया गया। इससे यह साफ हो जाता है कि वीआईपी प्रतिबंध का पालन सिर्फ दिखावा था और समिति को लाभ पहुंचाने के बजाय दिलेर साहब ने अपनी जेब भरी।
मैहर के आम नागरिकों के साथ भेदभाव
उज्जैन के महाकाल मंदिर समिति ने सावन मेले में स्थानीय निवासियों को आधार कार्ड के आधार पर भस्म आरती में निशुल्क प्रवेश दिया। इसके विपरीत, मैहर के नागरिकों को ऐसे किसी भी विशेष लाभ से वंचित रखा गया। सवाल यह उठता है कि क्या दिलेर साहब का यहां होना केवल सत्ता की चमक बढ़ाने के लिए है, या फिर वे आम जनता की सुविधा के लिए कार्यरत हैं?
पार्किंग से रोपवे तक अपमान का सिलसिला
पार्किंग की व्यवस्था से लेकर रोपवे कंपाउंड तक, मैहर के नागरिकों के साथ किया गया भेदभाव प्रशासन की तानाशाही का जीता-जागता उदाहरण है। समिति ने पार्किंग व्यवस्था में स्थानीय निवासियों की कोई सुनवाई नहीं की और रोपवे के संचालन में भी केवल वीआईपी की सुविधाओं का ध्यान रखा गया।
मेला व्यवस्था में पारदर्शिता की कमी
समिति की पूरी कार्यवाही एक विशेष मिशन की तरह लगती है, जिसमें केवल सत्ता का प्रदर्शन और प्रबुद्ध जनों को अपमानित करना मुख्य उद्देश्य रहा। इससे यह सवाल उठता है कि क्या प्रशासन वास्तव में मैहर के आम नागरिकों के हित में काम कर रहा है, या फिर केवल अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति कर रहा है?
निष्कर्ष
दिलेर साहब की यह दिलेरी अब जनता के बीच चर्चा का विषय बन गई है। प्रबुद्ध जनों को अब यह विचार करना होगा कि क्या प्रशासन उनकी सेवा कर रहा है, या फिर सत्ता के दंभ में उनके अधिकारों का हनन कर रहा है। मैहर की जनता को अब संगठित होकर ऐसे भ्रष्टाचार और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठानी होगी, ताकि मेला व्यवस्था और प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता और जनहित की प्राथमिकता सुनिश्चित की जा सके।
VIKAS TRIPATHI
भारत देश की सभी छोटी और बड़ी खबरों को सामने दिखाने के लिए “पर्दाफास न्यूज” चैनल को लेके आए हैं। जिसके लोगो के बीच में करप्शन को कम कर सके। हम देश में समान व्यवहार के साथ काम करेंगे। देश की प्रगति को बढ़ाएंगे।