
राहुल गांधी और जयराम रमेश ने केंद्र सरकार और एस. जयशंकर को घेरा, उठाए गंभीर सवाल
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पाकिस्तान को भारतीय हवाई हमले की पूर्व सूचना देने को लेकर मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने इसे “गंभीर अपराध” करार देते हुए सवाल किया कि इस फैसले को आखिर मंजूरी किसने दी थी? साथ ही उन्होंने यह भी पूछा कि इस फैसले के परिणामस्वरूप भारतीय वायुसेना को कितने विमान गंवाने पड़े?
“हमला होने से पहले पाकिस्तान को चेतावनी देना गलत” — राहुल गांधी
राहुल गांधी ने अपने बयान में विदेश मंत्री एस. जयशंकर के उस वीडियो का हवाला दिया, जिसमें वे यह स्वीकार करते नजर आते हैं कि भारत ने आतंकी ठिकानों पर हमले से पहले पाकिस्तान को सूचना दी थी कि यह कोई सैन्य ठिकाने पर हमला नहीं है, बल्कि आतंकियों को निशाना बनाया गया है। राहुल ने इसे एक चौंकाने वाला और खतरनाक कदम बताया, जो देश की सुरक्षा नीति पर गंभीर सवाल उठाता है।
कांग्रेस ने पूछा – किसने दी थी मंजूरी?
कांग्रेस नेता ने दो मौलिक सवाल पूछे:
- हमले से पहले पाकिस्तान को सूचित करने का फैसला किसने लिया?
- क्या इस कदम के चलते भारतीय वायुसेना को विमान गंवाने पड़े?
उन्होंने कहा कि इस तरह की रणनीतिक जानकारी साझा करना न केवल रक्षा नीति के खिलाफ है, बल्कि यह राष्ट्र की सुरक्षा से सीधा खिलवाड़ है।
जयराम रमेश ने भी साधा निशाना
राहुल गांधी के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी विदेश मंत्री एस. जयशंकर पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्री द्वारा किए गए खुलासों पर जयशंकर का कोई ठोस जवाब नहीं आना चौंकाने वाला और शर्मनाक है। रमेश ने सवाल किया कि जब खुद भारतीय विदेश मंत्री इस तरह के बयान दे रहे हैं, तो वो पद पर बने रहने के कैसे योग्य हैं?

“मोदी ने चीन को क्लीन चिट दी थी” — रमेश ने उठाया पुराना मुद्दा
जयराम रमेश ने 2020 के गलवान संघर्ष के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि 19 जून 2020 को पीएम मोदी ने चीन को सार्वजनिक तौर पर क्लीन चिट दी थी, जिससे भारत की कूटनीतिक स्थिति कमजोर हुई। उनका दावा है कि सरकार की चीन नीति दिशाहीन और भ्रमित करने वाली है।
विदेश नीति पर बढ़ती विपक्ष की आक्रामकता
राहुल गांधी और जयराम रमेश दोनों के बयानों से यह स्पष्ट है कि कांग्रेस अब भारत की रक्षा और विदेश नीति को लेकर केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करने की रणनीति पर काम कर रही है। विपक्ष यह संदेश देना चाहता है कि मोदी सरकार की नीतियां न केवल गोपनीयता और रणनीति के मोर्चे पर असफल रही हैं, बल्कि देश की सुरक्षा और वैश्विक छवि को भी खतरे में डाल रही हैं।