Tuesday, July 1, 2025
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भारत का पहला हाई-स्पीड रेलवे टेस्ट ट्रैक: राजस्थान में दिसंबर 2025 तक होगा तैयार, ₹820 करोड़ का निवेश

नई दिल्ली: भारत का पहला समर्पित हाई-स्पीड रेलवे टेस्ट ट्रैक राजस्थान में बन रहा है और इसके दिसंबर 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। इस प्रोजेक्ट में कुल ₹820 करोड़ का निवेश किया जा रहा है, जैसा कि रेल मंत्रालय ने जानकारी दी है।

हाई-स्पीड ट्रेनों का परीक्षण

यह 60 किलोमीटर लंबा ट्रैक हाई-स्पीड ट्रेनों, बुलेट ट्रेनों, और अन्य रोलिंग स्टॉक के उन्नत परीक्षण के लिए तैयार किया जा रहा है। इसके ऑपरेशनल होने के बाद, इस ट्रैक पर 230 किमी/घंटा की गति से परीक्षण किया जा सकेगा, जिससे भारत की रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर में एक नई उपलब्धि जुड़ जाएगी।

लोकेशन और विशेषताएं

यह ट्रैक राजस्थान के सांभर झील के पास, जोधपुर मंडल में, गुड़ा और थाताना मिठड़ी के बीच बनाया जा रहा है। यह ट्रैक भारतीय रेलवे के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो बिना किसी यात्री सेवा में बाधा डाले व्यापक परीक्षण की अनुमति देगा।

सभी प्रकार की ट्रेनों का परीक्षण

ट्रैक पर बुलेट ट्रेन के अलावा हाई-स्पीड, सेमी-हाई-स्पीड और मेट्रो ट्रेनों का भी परीक्षण किया जाएगा। रिसर्च डिज़ाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन (RDSO) ट्रेन के प्रदर्शन के हर पहलू, जैसे स्थिरता और सुरक्षा का मूल्यांकन करेगा, ताकि किसी भी कोच, बोगी, या इंजन को नियमित उपयोग से पहले अनुमोदित किया जा सके।

विशेष डिज़ाइन और परीक्षण सुविधाएं

ट्रैक के लेआउट में कई मोड़ शामिल हैं, जो अलग-अलग गति पर ट्रेन के प्रदर्शन का परीक्षण करने के लिए बनाए गए हैं। इसमें 13 किमी लंबा हाई-स्पीड लूप, 3 किमी का क्विक-टेस्टिंग लूप, और 20 किमी का कर्व-टेस्टिंग लूप शामिल है। इसके अलावा, 7 किमी का ट्विस्टिंग ट्रैक सेक्शन भी तैयार किया जा रहा है, जो खराब पटरियों पर ट्रेन की प्रतिक्रिया का परीक्षण करेगा।

सुरक्षा और टिकाऊपन पर जोर

ट्रैक पर व्यापक सुरक्षा और स्थायित्व परीक्षण किए जाएंगे, जिनमें दुर्घटना प्रतिरोध, रोलिंग स्टॉक स्थिरता, और पटरियों की गुणवत्ता का मूल्यांकन शामिल है। परियोजना में सात बड़े पुल, 129 छोटे पुल, और चार स्टेशन – गुड़ा, जब्दी नगर, नावा, और मिठड़ी शामिल हैं। इंजीनियरिंग में उच्च-गुणवत्ता वाले RCC और स्टील पुल बनाए गए हैं, जो आधुनिक ट्रेनों की उच्च गति के कंपन को सहन कर सकें। इसके अलावा, सांभर झील के क्षारीय पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए स्टेनलेस स्टील का उपयोग किया गया है, ताकि पटरियों में जंग न लगे और उनकी आयु लंबी हो।

पड़ोसी देशों के लिए भी परीक्षण सुविधा

यह टेस्ट ट्रैक न केवल भारत में ट्रेन परीक्षणों को आसान बनाएगा, बल्कि पड़ोसी देशों के लिए भी परीक्षण की सुविधा उपलब्ध कराएगा। इससे भारतीय रेलवे की बढ़ती विशेषज्ञता और उन्नत रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर को भी दर्शाया जाएगा।

भविष्य के लिए संभावनाएं

इस परियोजना के पूरा होने के बाद, भारत घरेलू स्तर पर सभी ट्रेन परीक्षण करने में सक्षम होगा, जिससे नियमित रेल सेवाओं में कोई रुकावट नहीं आएगी और भविष्य की हाई-स्पीड ट्रेनों के लिए नए मानक स्थापित होंगे।

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VIKAS TRIPATHI
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