Tuesday, July 1, 2025
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ऑस्ट्रेलिया और कनाडा की आंखों में चुभ रहे भारत के छात्र, वीजा आवेदनों को धड़ाधड़ किया रिजेक्ट, जानें वजह

ओटावा: भारतीय छात्रों को कनाडा और ऑस्ट्रेलिया वीजा देने में कंजूसी बरती जा रही है। द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में उच्च अध्ययन के इच्छुक पंजाब, गुजरात और हरियाणा के वीजा आवेदकों को बड़ी संख्या में रिजेक्शन का सामना करना पड़ रहा है। इसकी वजह यह है कि इन देशों ने नियमों को कड़ा कर दिया है और खासतौर से भारत के कुछ राज्यों के छात्रों को कड़ी जांच का सामना करना पड़ रहा है।

रिपोर्ट में विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ देशों को लगता है कि आप्रवासन के इच्छुक भारतीय सिस्टम से खिलवाड़ करते हुए छात्र वीजा का आसान रास्ता चुन रहे हैं। कनाडा इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। कनाडा में कानूनी एंट्री के बाद कोई पासपोर्ट न होने की बात कहकर शरण मांग सकता है। कनाडाई कानून में शरण चाहने वालों को उचित दस्तावेज के अभाव में तब तक वापस नहीं लौटाया जा सकता, जब तक उनके शरणार्थी आवेदन पर विचार नहीं किया जाता। कनाडा और ऑस्ट्रेलिया को आकर्षक गंतव्य के रूप में देखा जाता है क्योंकि यूके और यूएस की तुलना में उनके नागरिकता और आव्रजन मानदंड आसान हैं।

धोखाधड़ी के मामले सामने आना इसकी वजह
द प्रिंट ने शिक्षा और आव्रजन सलाहकारों से बातचीत के आधार पर कहा है कि कोविड महामारी के बाद वीजा धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों के कारण ये बदलाव हुए हैं। विश्वविद्यालय छात्र वीजा आवेदकों की अस्वीकृति दर की जानकारी नहीं देते हैं, लेकिन अमेरिकी आव्रजन फर्म ईबी5 ब्रिक्स के प्रमुख विवेक टंडन के अनुसार, कनाडा में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक गुजरात, पंजाब और हरियाणा के छात्रों के बीच उच्च अस्वीकृति दर का एक पैटर्न प्रतीत होता है, जबकि ऑस्ट्रेलिया ने अतीत में भी प्रतिबंध लगाया है।

कनाडा के लिए छात्र वीजा चाहने वालों में सबसे बड़ी संख्या पंजाब के छात्रों की है। टंडन का मानना है कि कनाडा में 2023 में स्वीकार किए गए 2.25 लाख भारतीय छात्रों के वीजा में से 1.35 लाख पंजाब से थे। इस बात का कोई डेटा नहीं है कि किस राज्य में स्वीकृति दर सबसे अधिक है, लेकिन यह देखते हुए कि कनाडा और ऑस्ट्रेलिया पंजाब के आवेदनों की अधिक सावधानी से जांच कर रहे हैं, यह माना जा सकता है कि आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र जैसे राज्यों के आवेदकों को अधिक अनुकूल तरीके से देखा जाता है।

बीते साल मई में कई ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों ने फर्जी दस्तावेज और उच्च ड्रॉपआउट दर का हवाला देते हुए पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, गुजरात और जम्मू-कश्मीर के आवेदनों पर कार्रवाई करना बंद कर दिया था। ऑस्ट्रेलिया के गृह विभाग ने भारतीय छात्रों के चार में से एक आवेदन को ‘गैर-वास्तविक’ माना था।

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