
नोएडा के किसानों की समस्याओं के निपटारे के लिए हाइपावर कमेटी ने अब तक किसानों के हित में क्या किया है, इसका खुलासा न होने से नोएडा के किसानों में आक्रोश है। किसानों ने एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतरने की तैयारी की है। किसानों ने बड़ा ऐलान करते हुए अपने आंदोलन को तेज करने की घोषणा की है।
सेक्टर 29 स्थित नोएडा मीडिया क्लब में आयोजित एक प्रेस वार्ता में यह घोषणा की गई। प्रेस वार्ता में संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि वे 3 जुलाई को गौतमबुद्ध नगर के डीएम का घेराव करेंगे। दरअसल, चुनाव से पहले एनटीपीसी और नोएडा-ग्रेटर नोएडा के किसानों की मांगों को लेकर एक हाइपावर कमेटी बनाई गई थी, जिसके अध्यक्ष राजस्व परिषद के अध्यक्ष थे। हाइपावर कमेटी में डीएम को सदस्य बनाया गया था। भारतीय किसान परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखवीर ख़लीफ़ा ने बताया कि दिल्ली कूच आंदोलन को रुकवा कर हाइपावर कमेटी बनाई गई थी और आश्वासन दिया गया था कि तीन महीने में मांगों का समाधान किया जाएगा।
चार महीने बीत जाने के बाद भी एनटीपीसी के किसानों की मांग पर केवल एक बार बैठक की गई है। इससे एनटीपीसी के किसानों में आक्रोश है। वहीं, नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के किसानों की मांगों पर भी अब तक कोई जवाब नहीं आया है। इसलिए बैठक के बाद निर्णय लिया गया कि 3 जुलाई को डीएम आवास का घेराव किया जाएगा।
इस घेराव में हजारों की संख्या में नोएडा, ग्रेटर नोएडा और दादरी के किसान मौजूद रहेंगे। घेराव के बाद डीएम से अब तक किए गए कार्यों के बारे में पूरी रिपोर्ट मांगी जाएगी और इसके बाद आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। किसानों का कहना है कि प्रशासन ने उनके साथ धोखा किया है और अब तक उनकी एक भी मांग को पूरा नहीं किया गया है। जरूरत पड़ने पर वे दिल्ली जाने की भी तैयारी करेंगे।
इन मांगों पर हुआ था समझौता:
- 1997 के बाद के सभी किसानों को बढ़ी दर से मुआवजा दिया जाए, चाहे वह कोर्ट गए हो या नहीं।
- किसानों को 10 प्रतिशत विकसित भूखंड दिया जाए।
- आबादी जैसी है वैसी छोड़ी जाए। विनियमितीकरण की 450 वर्गमीटर सीमा को बढ़ाकर 1000 प्रति वर्गमीटर किया जाए।
- भूमि उपलब्धता न होने के कारण पात्र किसानों के 5 प्रतिशत आबादी भूखंड भूलेख विभाग में नहीं रोके जाएंगे। उनका नियोजन किया जाए।
- भवनों की ऊंचाई को बढ़ाए जाने की अनुमति दी जाए, क्योंकि गांवों के आसपास काफी हाइराइज इमारतें हैं। ऐसे में उनका एरिया लो लेयिंग एरिया में आ गया है।
- 5 प्रतिशत विकसित भूखंडों पर व्यावसायिक गतिविधियों की अनुमति दी जाए।
- गांवों के विकास के साथ खेल बजट का प्रावधान किया जाए।
- गांवों में पुस्तकालय बनाए जाएं।

VIKAS TRIPATHI
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