Wednesday, July 16, 2025
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मतदाता सूची की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग की नई पहल: डुप्लिकेट EPIC नंबर की समस्या होगी खत्म

भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने मतदाता सूची की सटीकता सुनिश्चित करने और उसमें सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। दशकों से चली आ रही डुप्लिकेट मतदाता पहचान पत्र (EPIC) की समस्या को खत्म करने के लिए आयोग ने तीन महीने की समय सीमा तय की है। इस फैसले का उद्देश्य मतदाता डेटा को पारदर्शी और त्रुटि-मुक्त बनाना है, ताकि हर योग्य मतदाता को केवल एक वैध पहचान पत्र प्राप्त हो।

डुप्लिकेट EPIC नंबर की समस्या और उसका कारण

भारत में मतदाता पहचान पत्र प्रणाली को पहली बार 1993 में पेश किया गया था, लेकिन EPIC नंबरों का आवंटन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 2000 में शुरू किया गया। हालांकि, कुछ निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (ERO) ने सही नंबरिंग प्रणाली का पालन नहीं किया, जिससे कुछ मतदाताओं को एक से अधिक EPIC नंबर जारी कर दिए गए।

समय के साथ यह गड़बड़ी बड़ी समस्या बन गई, क्योंकि इससे न केवल मतदाता सूची में विसंगतियां आईं, बल्कि चुनावी प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठे। कुछ मतदाता अनजाने में या जानबूझकर एक से अधिक मतदाता पहचान पत्र रखते थे, जिससे संभावित चुनावी अनियमितताओं की आशंका बढ़ गई थी।

चुनाव आयोग की नई योजना

अब, चुनाव आयोग ने इस समस्या को जड़ से खत्म करने का फैसला किया है। आयोग के नए आदेश के तहत:
• सभी मतदाताओं के पास केवल एक वैध EPIC नंबर होगा।
• डुप्लिकेट EPIC नंबर वाले मतदाताओं को नया, विशिष्ट EPIC नंबर जारी किया जाएगा।
• नए मतदाताओं को आवंटित नंबरों में किसी भी तरह की डुप्लिकेसी से बचने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरती जाएगी।
• यह पूरी प्रक्रिया अगले तीन महीनों में पूरी कर ली जाएगी।

चुनाव आयोग का मानना है कि इस सुधार से मतदाता सूची में पारदर्शिता बढ़ेगी, फर्जी वोटिंग की संभावनाएं कम होंगी और चुनावी प्रणाली की निष्पक्षता और विश्वसनीयता में सुधार होगा।

99 करोड़ से ज्यादा रजिस्टर्ड मतदाता और मतदाता सूची का अद्यतन

भारत दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रों में से एक है, जहां 99 करोड़ से अधिक पंजीकृत मतदाता हैं। मतदाता सूची को सटीक और अद्यतन बनाए रखना एक सतत प्रक्रिया है, जिसे जिला चुनाव अधिकारी और निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी संभालते हैं।

मतदाता सूची के अद्यतन की प्रक्रिया में जनता और राजनीतिक दलों की भागीदारी होती है। इसके तहत हर साल अक्टूबर से दिसंबर के बीच संक्षिप्त पुनरीक्षण (Special Summary Revision – SSR) किया जाता है, और अंतिम मतदाता सूची जनवरी में प्रकाशित की जाती है। जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चुनाव होने होते हैं, वहां चुनाव से पहले एक अतिरिक्त संशोधन किया जाता है।

SSR प्रक्रिया: मतदाता सूची की सटीकता सुनिश्चित करने की प्रणाली

SSR (संक्षिप्त पुनरीक्षण) एक समावेशी प्रक्रिया है, जिसमें विभिन्न चरण शामिल होते हैं:
1. बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) और एजेंटों की भागीदारी: मतदाता सूची को अद्यतन करने के लिए जमीनी स्तर पर कार्यरत अधिकारी सत्यापन करते हैं।
2. मसौदा मतदाता सूची (Draft Electoral Roll): इसमें उन नए मतदाताओं के नाम जोड़े जाते हैं, जिन्होंने अपना पंजीकरण कराया है।
3. दावे और आपत्तियां (Claims & Objections): नागरिकों को सूची में शामिल करने, सुधारने या हटाने के लिए आवेदन देने का अवसर दिया जाता है।
4. अपील प्रक्रिया (Appeal Process): यदि किसी मतदाता को लगता है कि उनके नाम को गलत तरीके से हटाया गया है या गलत जानकारी दर्ज की गई है, तो वे अपील कर सकते हैं।
5. अंतिम प्रकाशन (Final Publication): सभी सुधारों और संशोधनों के बाद अंतिम सूची प्रकाशित की जाती है।

इस प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची को अद्यतन और त्रुटि-मुक्त रखना है, जिससे हर मतदाता को निष्पक्ष चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने का अधिकार मिले।

चुनाव आयोग का नया कदम क्यों महत्वपूर्ण है?

चुनाव आयोग के इस कदम से कई फायदे होंगे:
• चुनावी पारदर्शिता में वृद्धि: फर्जी मतदान की संभावना कम होगी।
• मतदाता पहचान में स्पष्टता: हर मतदाता को सिर्फ एक वैध पहचान पत्र मिलेगा।
• चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता: किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोका जा सकेगा।
• तकनीकी सुधार: मतदाता डेटाबेस को डिजिटल रूप से अधिक प्रभावी बनाया जाएगा।

भारत के चुनाव आयोग द्वारा उठाया गया यह कदम भारतीय लोकतंत्र में एक ऐतिहासिक सुधार साबित हो सकता है। तीन महीने की समय-सीमा के भीतर डुप्लिकेट EPIC नंबर को हटाने की इस पहल से मतदाता सूची की शुद्धता बढ़ेगी और भविष्य में चुनावी अनियमितताओं को रोकने में मदद मिलेगी। यह पहल चुनावी प्रक्रिया में जनता के विश्वास को मजबूत करेगी और भारतीय लोकतंत्र को और अधिक सशक्त बनाएगी।

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VIKAS TRIPATHI
VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
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