दिल्ली विधानसभा चुनाव 2024 को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपनी चुनावी रणनीतियों को तेज़ी से आकार देना शुरू कर दिया है। खासकर दलित समुदाय को लुभाने के लिए बीजेपी ने एक सटीक और विशेष रणनीति तैयार की है। दिल्ली के 30 विधानसभा क्षेत्रों में अनुसूचित जाति (SC) के मतदाता बहुलता में हैं, और इन क्षेत्रों पर बीजेपी का पूरा ध्यान केंद्रित है। पार्टी का मानना है कि यदि इन सीटों पर जीत हासिल की जाती है तो दिल्ली विधानसभा में सत्ता की ओर कदम बढ़ाना आसान हो जाएगा। इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि बीजेपी ने अपनी रणनीति कैसे बनाई है और किन-किन पहलुओं पर काम कर रही है।
बीजेपी की रणनीति: दलित वोट बैंक पर विशेष ध्यान
दिल्ली में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 12 विधानसभा सीटों के अलावा, 18 ऐसी सीटें हैं, जहां दलित मतदाताओं का महत्वपूर्ण प्रभाव है। इन 30 विधानसभा क्षेत्रों में अनुसूचित जाति के मतदाताओं का वोट प्रतिशत 17% से लेकर 43% तक है। बीजेपी का मानना है कि यदि वह इन क्षेत्रों में दलित वोटर्स को अपने पक्ष में ला पाती है, तो वह विधानसभा चुनाव में एक महत्वपूर्ण जीत हासिल कर सकती है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पिछले कुछ सालों में लोकसभा चुनावों के दौरान इन सीटों पर अच्छा प्रदर्शन किया था। विशेषकर 12 अनुसूचित जाति आरक्षित सीटों में से 8 सीटों पर बीजेपी को इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों से अधिक वोट मिले थे। इस आंकड़े से पार्टी को यह उम्मीद है कि दलित बहुल इलाकों में वह फिर से विजय प्राप्त कर सकती है।
विस्तारक योजना और 1-11-121 रणनीति
बीजेपी ने अपने दलित वोट बैंक को मजबूत करने के लिए एक विशेष विस्तारक योजना बनाई है। पार्टी इन 30 विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्येक क्षेत्र के लिए एक “विस्तारक” नियुक्त करेगी, जो कि खुद अनुसूचित जाति का होगा। ये विस्तारक इन क्षेत्रों में घर-घर जाकर संपर्क करेंगे, और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर जनसंपर्क करेंगे।
इस संपर्क अभियान को प्रभावी बनाने के लिए बीजेपी ने 1-11-121 की रणनीति बनाई है। इस रणनीति के तहत एक स्थानीय विस्तारक के नेतृत्व में 11 कार्यकर्ता होंगे, और इन 11 कार्यकर्ताओं के नीचे 121 स्थानीय कार्यकर्ता होंगे, जो बूथ स्तर पर काम करेंगे। इस रणनीति के तहत बीजेपी ने लगभग 4000 बूथों पर काम करने की योजना बनाई है, ताकि हर मतदाता तक पहुँच सकें।
पूर्व सांसद और विधायकों को किया गया जिम्मेदार
बीजेपी ने इस अभियान को प्रभावी बनाने के लिए अपने पूर्व सांसदों और विधायकों को इन क्षेत्रों में जिम्मेदारी दी है। इन नेताओं को इन 30 विधानसभा क्षेत्रों का इंचार्ज बनाया गया है, ताकि कार्यकर्ताओं और विस्तारकों को मार्गदर्शन मिल सके और यह अभियान सही दिशा में आगे बढ़ सके।
रथ यात्रा का समापन और उम्मीदवारों की सूची
बीजेपी ने दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव के प्रचार के लिए शुरू होने वाली रथयात्रा को फिलहाल रोक दिया है। पार्टी ने यह निर्णय लिया है कि रथयात्रा तब तक शुरू नहीं की जाएगी जब तक कि उम्मीदवारों की पहली सूची जारी नहीं कर दी जाती। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी उम्मीदवारों की पहली सूची 21 से 23 दिसंबर के बीच जारी कर सकती है, जिसमें लगभग 30 नाम होंगे। पार्टी के अनुसार, रथयात्रा को उम्मीदवारों की सूची के बाद ही शुरू किया जाएगा, ताकि प्रचार अभियान में निरंतरता बनी रहे।
सांसदों और विधायकों के टिकट पर भी बदलाव
बीजेपी की अंदरूनी बैठकों में यह भी संकेत दिए गए हैं कि इस बार कोई भी सीटिंग सांसद विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगा। इसके अलावा, पार्टी में यह भी चर्चा चल रही है कि कई मौजूदा विधायकों के टिकट कट सकते हैं। इन बदलावों के पीछे की वजह यह है कि बीजेपी नए चेहरों को सामने लाकर अधिक प्रभावशाली चुनावी परिणाम हासिल करना चाहती है।
बीजेपी की रणनीति: महाराष्ट्र और हरियाणा से प्रेरणा
दिल्ली में दलित वोटों को साधने के लिए बीजेपी ने पहले हरियाणा और महाराष्ट्र में भी विशेष दलित आउटरीच कार्यक्रम चलाए थे। बीजेपी ने वहां दलित समुदाय के बीच बड़े पैमाने पर संपर्क अभियान चलाया था, जिसके परिणामस्वरूप उसे इन राज्यों में अच्छा प्रदर्शन मिला। महाराष्ट्र में 124 विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी ने दलित वोटरों के बीच अपनी पैठ बनाई थी, और अब वही फॉर्मूला दिल्ली में अपनाने की योजना है।
निष्कर्ष
बीजेपी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव 2024 को लेकर अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है, और खासतौर पर दलित वोटर्स पर ध्यान केंद्रित किया गया है। पार्टी ने दलित बहुल 30 विधानसभा क्षेत्रों में घर-घर संपर्क करने, विशेष रणनीतियों को लागू करने और पुराने नेताओं को जिम्मेदारी देने का फैसला किया है। इसके साथ ही बीजेपी ने यह भी साफ किया है कि आगामी चुनाव में बदलाव और नए चेहरे सामने आ सकते हैं। अगर यह रणनीति सफल होती है, तो दिल्ली विधानसभा में बीजेपी के लिए सत्ता की राह और भी आसान हो सकती है।
VIKAS TRIPATHI
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