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दिल्ली-एनसीआर में गंभीर वायु प्रदूषण के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार और पुलिस को GRAP-4 (Graded Response Action Plan) के प्रावधानों को लागू करने में असफल रहने पर फटकार लगाई। अदालत ने राजधानी में भारी वाहनों की एंट्री पर प्रतिबंध को लेकर सवाल उठाए और 13 प्रमुख प्रवेश बिंदुओं के CCTV फुटेज की मांग की।
सुप्रीम कोर्ट की प्रमुख टिप्पणियां:
- GRAP-4 की लापरवाही:
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मानना मुश्किल है कि दिल्ली में ट्रकों की एंट्री रोक दी गई है।
- कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि 13 प्रवेश बिंदुओं पर पुलिसकर्मी तैनात किए जाएं और सोमवार, 25 नवंबर तक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
- कानूनी नियुक्ति:
- 13 वकीलों की टीम को इन प्रवेश बिंदुओं का दौरा कर यह जांचने का जिम्मा सौंपा गया कि क्या दिल्ली के बाहर रजिस्टर किए गए भारी वाहन, जो आवश्यक वस्तुएं नहीं ले जा रहे हैं, अभी भी प्रवेश कर रहे हैं।
- GRAP का महत्व:
- GRAP को चार चरणों में वर्गीकृत किया गया है:
- चरण I: ‘खराब’ (AQI 201-300)
- चरण II: ‘बहुत खराब’ (AQI 301-400)
- चरण III: ‘गंभीर’ (AQI 401-450)
- चरण IV: ‘गंभीर प्लस’ (AQI 450 से ऊपर)
- वर्तमान में दिल्ली का AQI 485 है, जो ‘गंभीर प्लस’ श्रेणी में आता है।
- GRAP को चार चरणों में वर्गीकृत किया गया है:
- CAQM की आलोचना:
- अदालत ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को GRAP-3 और GRAP-4 लागू करने में देरी के लिए दोषी ठहराया।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि AQI के बढ़ने की संभावना को देखते हुए तुरंत कदम उठाए जाने चाहिए थे। “बेहतर स्थिति का इंतजार करना गलत दृष्टिकोण है,” अदालत ने कहा।
- संविधान का दायित्व:
- अदालत ने यह स्पष्ट किया कि केंद्र और राज्यों का संवैधानिक कर्तव्य है कि वे नागरिकों को प्रदूषण-मुक्त वातावरण प्रदान करें।
दिल्ली के प्रदूषण की स्थिति:
- रविवार शाम 7 बजे दिल्ली का औसत AQI 457 था, जो सोमवार सुबह 9 बजे बढ़कर 485 हो गया।
- ट्रक प्रवेश पर रोक और सार्वजनिक परियोजनाओं पर निर्माण रोकने जैसे GRAP-4 के प्रावधान लागू किए जाने थे।
अगली सुनवाई:
सुप्रीम कोर्ट सोमवार, 25 नवंबर को इस मामले की अगली सुनवाई करेगी। अदालत ने दिल्ली-NCR राज्यों को GRAP-4 के नियम सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया है।
निष्कर्ष:
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती ने न केवल वायु प्रदूषण के प्रति प्रशासन की गंभीरता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि सरकारों को चेतावनी दी है कि वह अपने संवैधानिक दायित्व को निभाने में चूक न करें। अब देखने वाली बात यह होगी कि दिल्ली और NCR के प्रशासन इन निर्देशों को कितनी प्रभावी तरीके से लागू करते हैं।
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VIKAS TRIPATHI
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