Delhi assembly election 2025 caste equation aap bjp congress: दिल्ली विधानसभा चुनाव की हलचल तेज हो चुकी है, और सभी राजनीतिक दल पूरी ताकत से चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। जातिगत समीकरणों की इस सियासत में पूर्वांचली, पंजाबी, जाट और वैश्य समुदायों का महत्व सबसे ज्यादा नजर आ रहा है। इनके साथ ही उत्तराखंडी, ब्राह्मण और दलित वोटर भी सत्ता की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
जातियों का प्रभाव और दिल्ली की सियासत
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटें हर क्षेत्र की अलग-अलग राजनीतिक और जातीय जरूरतों को दर्शाती हैं। पिछले तीन विधानसभा चुनावों के नतीजों से साफ है कि सत्ता का रास्ता पूर्वांचली, पंजाबी, वैश्य और जाट समुदाय के समर्थन से होकर गुजरता है।
पूर्वांचली वोटरों की ताकत
दिल्ली में पूर्वांचली वोटर करीब 25% हैं, जो 17 से 18 सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। किराड़ी, बुराड़ी, उत्तम नगर, संगम विहार, बादली, गोकलपुरी, द्वारका, मटियाला और करावल नगर जैसी सीटों पर इनकी तादाद सबसे ज्यादा है।
आम आदमी पार्टी ने हाल के वर्षों में इस वोट बैंक पर मजबूत पकड़ बनाई है, लेकिन बीजेपी भी इन्हें साधने में जुटी हुई है।
पंजाबी वोटर हैं किंगमेकर
राजधानी में पंजाबी समुदाय की आबादी 30% है, जिसमें 10% पंजाबी खत्री और 5% सिख शामिल हैं। विकासपुरी, राजौरी गार्डन, जनकपुरी, तिलक नगर, और रोहिणी जैसी सीटों पर ये वोटर सत्ता का समीकरण तय करते हैं।
बीजेपी, कांग्रेस, और आम आदमी पार्टी तीनों ही इस समुदाय को लुभाने की कोशिश में लगी हुई हैं।
जाट वोटरों की निर्णायक भूमिका
दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्रों में जाट वोटरों की अच्छी खासी मौजूदगी है। बाहरी दिल्ली की सीटों पर जाट वोटर हार-जीत तय करते हैं। बीजेपी इन्हें अपने पक्ष में लाने के लिए प्रवेश वर्मा जैसे नेताओं को आगे कर रही है।
दलित वोटरों का असर
दिल्ली में दलित आबादी 17% है, जिनके लिए 12 सीटें आरक्षित हैं। पटेल नगर, करोल बाग और ग्रेटर कैलाश जैसे क्षेत्रों में इनकी बड़ी मौजूदगी है। दलित वोटर इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
वैश्य और ब्राह्मण समाज का प्रभाव
वैश्य और ब्राह्मण वोटर क्रमश: 8% और 10% हैं। ये समुदाय राजधानी की कई सीटों पर प्रभाव डालते हैं। आम आदमी पार्टी ने हाल के वर्षों में वैश्य वोटरों पर मजबूत पकड़ बनाई है, जबकि ब्राह्मण वोटरों के लिए बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला है।
मुस्लिम वोटरों का महत्व
मुस्लिम समुदाय दिल्ली की 12% आबादी है, जो चांदनी चौक, ओखला, मटिया महल और बाबरपुर जैसी सीटों पर अहम भूमिका निभाता है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच इस वोट बैंक को लेकर कड़ी टक्कर है।
उत्तराखंडी वोटर भी हैं महत्वपूर्ण
उत्तराखंड के करीब 35 लाख लोग दिल्ली में रहते हैं। बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सभी इन्हें लुभाने की रणनीति में जुटी हुई हैं।
जातीय समीकरण तय करेंगे सत्ता की दिशा
दिल्ली की चुनावी राजनीति में जातिगत समीकरण ही पार्टियों की रणनीति का केंद्र बने हुए हैं। चाहे पूर्वांचली, पंजाबी, जाट, वैश्य, या ब्राह्मण समुदाय हो, सभी की अहमियत सियासी बिसात पर तय है। सत्ता हासिल करने के लिए इन वोटरों को साधना हर पार्टी की प्राथमिकता है।
VIKAS TRIPATHI
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