पटना / नई दिल्ली — बिहार में चल रहे Special Intensive Revision (SIR) को लेकर राजनीतिक तनाव चरम पर है। विपक्ष के नेता लोकसभा में राहुल गांधी और आरजेडी के तेजस्वी यादव ‘वोटर अधिकार यात्रा’ पर निकलकर मतदाता सूची में गड़बड़ी का आरोप लगा रहे हैं और केंद्र सरकार व चुनाव आयोग पर तीव्र हमला कर रहे हैं। राहुल–तेजस्वी की यात्रा का मकसद यही बताया जा रहा है कि SIR के कारण गरीब और सीमांत वोटरों के वोट काटे जा रहे हैं।
बीच में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा कर विपक्ष की नीतियों पर तंज कसा। वीडियो में वही महिला दिख रही है — जिसने राहुल गांधी से मिलकर अपने परिवार के छह सदस्यों के नाम वोटर सूची से कटने की शिकायत की थी — लेकिन जांच में पाया गया कि उस महिला और उसके परिवार के सभी नाम मतदाता सूची में मौजूद हैं। नड्डा ने इस वीडियो को विपक्ष के ‘दावों’ को बेनकाब करने के सन्दर्भ में शेयर किया है।
वाकया क्या था — महिला ने क्या कहा और फिर क्या बदला
रोहतास जिले की रंजू (या रंजू देवी) ने राहुल गांधी से मिलकर यह आरोप लगाया कि उनके और उनके परिवार के कई सदस्यों के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए हैं। बाद की जांच में पता चला कि रंजू और उनके परिवार के नाम ड्राफ्ट लिस्ट (1 अगस्त प्रकाशित) में हैं और उनका वोट कटने का आरोप सही नहीं निकला — रंजू ने भी मान लिया कि वार्ड सचिव की बात सुनकर वह शिकायत के लिए गई थी। स्थानीय स्तर पर वार्ड सचिव के कहने पर कई लोग ऐसे कदम उठा बैठते हैं, यह घटना उसी सन्दर्भ में देखी जा रही है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और सोशल मीडिया की बहस
वायरल वीडियो और महिला की ‘रिट्रैक्शन’ के बाद सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में यह बात तेज़ी से फैल गई कि राहुल गांधी की वोट चोरी की मुहिम PR रोलआउट में बदल रही है। कुछ यूज़र्स ने इसे “स्क्रिप्टेड PR” कहा, तो विपक्ष ने इसे चुनावी माहौल को साफ़ करने के लिए की गई सच्चाई-खोज बता कर पलटवार किया। बीजेपी ने इस पूरे मसले को विपक्ष की भ्रामक रणनीति करार दिया है।
खड़ा हूँ आज भी वहीं… जहाँ मेरा झूठ पकड़ाया, सच सामने आया, और मैंने अपना मज़ाक बनवाया… खड़ा हूँ आज भी वहीं। https://t.co/Ihdl77pR97
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) August 19, 2025
चुनाव आयोग ने राहुल को दिया अल्टीमेटम; विरोध ने भी तेज़ किया
इसी बीच चुनाव आयोग (EC) ने राहुल गांधी को अपनी ‘वोट चोर’ वाली टिप्पणियों के संबंध में तथ्यों के साथ जवाब देने के लिए कहा है और रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्हें सात दिन का अल्टीमेटम भी दिया गया है—या फिर उन्हें देश के सामने शपथ-पत्र/अभियोग या माफी पेश करनी होगी। विपक्ष ने आयोग की कार्रवाई को राजनीतिक बताकर हमला तेज़ कर दिया है और कहा है कि SIR के दौरान जिन विसंगतियों की उन्होंने बात उठाई, उन पर उन्हें जवाब देना चाहिए।
क्या आगे हो सकता है
अब सियासी रंग-रूप और तेज़ हो चुका है — एक ओर विपक्ष SIR को ‘वोट चोरी’ का नया तरीका बताकर धरातल पर जाकर शिकायतें इकट्ठा कर रहा है, तो दूसरी ओर केंद्र व BJP इस अभियान को ‘भ्रामक’ ठहराकर विपक्ष को जवाबदेह बना रहे हैं। जिस तरह से केस-वार सफ़ाई और वीडियो क्लिप वायरल हुए हैं, उससे राजनीतिक बयानबाजी और प्रतिवाद दोनों और भी तेज़ होने की सम्भावना है। जांचें और चुनाव आयोग के कड़े रुख के बाद आने वाले दिनों में यह मुद्दा संसद और जनसंचार माध्यमों में गरम बना रहेगा।














