
दिल्ली आबकारी नीति मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता मनीष सिसोदिया डेढ़ साल से तिहाड़ जेल में बंद हैं। उन्होंने जमानत के लिए पहले दिल्ली हाईकोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (8 जुलाई, 2024) को कहा कि वह मनीष सिसोदिया की उस नई याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा, जिसमें आबकारी नीति घोटाला मामलों में उनकी जमानत याचिका पर फिर से सुनवाई करने का अनुरोध किया गया है।
मनीष सिसोदिया के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मामलों में जमानत का अनुरोध करने वाली उस याचिका पर फिर से सुनवाई किए जाने की अर्जी दायर की गई है जिसका पहले निस्तारण किया जा चुका है। इससे पहले 4 जून को कोर्ट ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दर्ज मामलों में सिसोदिया की जमानत याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया था।
अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी दलील में कहा, “मनीष सिसोदिया 16 महीने से जेल में हैं। कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई पूरी हो जानी चाहिए, लेकिन यह शुरू ही नहीं हुई है। मैंने विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की, उन्होंने 3 जुलाई के बाद फिर से याचिका दायर करने की छूट दी थी। अदालत ने सूचीबद्ध करने की छूट दी थी।” इस पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “क्या आपने ई-मेल किया है… मैं इस पर गौर करूंगा।”
याचिका में कहा गया है कि जांच एजेंसियों की ओर से पेश कानून अधिकारी ने पीठ को बताया था कि आबकारी नीति घोटाले के मुख्य मामले और इससे जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोप पत्र और अभियोजन की शिकायत 3 जुलाई, 2024 को या उससे पहले दायर की जाएगी। कोर्ट ने सिसोदिया की जमानत याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया था, लेकिन साथ में यह भी कहा था कि ईडी और सीबीआई द्वारा करप्शन और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों में अपनी अंतिम अभियोजन शिकायत और आरोप पत्र दाखिल किए जाने के बाद सिसोदिया जमानत के लिए अपनी याचिकाएं फिर से दायर कर सकते हैं। अभियोजन शिकायत ईडी के आरोप पत्र के समान होती है।
जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस संदीप मेहता की अवकाशकालीन पीठ ने ईडी और सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की इन दलीलों पर गौर किया था कि केंद्रीय जांच एजेंसियां तीन जुलाई तक अपनी अंतिम अभियोजन शिकायत और आरोप पत्र दाखिल करेंगी। मनीष सिसोदिया ने दिल्ली हाईकोर्ट के 21 मई के उस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी।

VIKAS TRIPATHI
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